बीजेपी और ठाकरे गुट एक दूसरे के करीब आने की कोशिश में हैं? महाराष्ट्र में हलचल तेज

 


बीजेपी और शिवसेना का ठाकरे गुट के बीच दूरियां कम हो रही हैं? एक बार फिर बीजेपी और ठाकरे गुट करीब आने की कोशिश कर रहे हैं? बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व और  पीएम मोदी और शिवसेना के ठाकरे गुट के बीच तनाव कभी इतना नहीं बढ़ा कि संवाद नहीं हो पाए, तो क्या जो दूरियां बढ़ीं उसकी वजह बीजेपी के राज्य का नेतृत्व यानी देवेंद्र फडणवीस हैं? इस सवाल के जवाब में कुछ सकारात्मक संकेत उभरते हुए दिखाई दे रहे हैं. महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और आदित्य ठाकरे के आज (4 नवंबर, शुक्रवार) के बयान गौर करने लाएक हैं.

 इन बयानों से बीजेपी और ठाकरे गुट के गठबंधन टूटने का दुख भी दिखाई देता है और एक बार फिर करीब आने की कसमसाहट भी समझी जा सकती है. मुंबई में हो रहे इंडिया टूडे कॉन्क्लेव में भाग लेते हुए एकनाथ शिंदे ने एक बार फिर यह दोहराया कि उन्होंने ठाकरे गुट से अलग होने से पहले खुद उद्धव ठाकरे को समझाया था कि बीजेपी के साथ ही शिवसेना का नेचुरल अलायंस हो सकता है. एनसीपी और कांग्रेस के खिलाफ लड़ कर हमारे विधायक चुने गए हैं. ऐसे में वे किस मुंह से जनता के सामने फिर वोट लेने जाएंगे. लेकिन उद्धव ठाकरे कांग्रेस और एनसीपी को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे. दूसरी तरफ आदित्य ठाकरे ने भी कहा कि उन्होंने या पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कभी बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ बयानबाजी नहीं की.

हमने कभी प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बात नहीं की- आदित्य ठाकरे

आदित्य ठाकरे बीजेपी और शिवसेना का ठाकरे गुट के साथ आने की संभावनाओं पर कहा, ‘हमने कभी एक शब्द भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नहीं कहा. हमारा रिश्ता बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से हमेशा अच्छा रहा. हम गंदी राजनीति के शिकार हुए. आज महाराष्ट्र को इस राजनीतिक अस्थिरता का अंजाम भुगतना पड़ रहा है. एक के बाद एक बड़े प्रोजेक्ट महाराष्ट्र से बाहर जा रहे हैं.’ एकनाथ शिंदे की बगावत पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए आदित्य ठाकरे ने कहा कि गद्दारी सिर्फ गद्दारी ही होती है, उसका कोई और नाम नहीं होता. एक व्यक्ति की राक्षसी महत्वाकांक्षा की वजह से महाराष्ट्र को यह दिन देखना पड़ रहा है.

उद्धव ठाकरे को समझाया, बीजेपी ही है नेचुरल अलाएंस- सीएम शिंदे

शुक्रवार को ही इंडिया टूडे कॉन्क्लेव में बोलते हुए एकनाथ शिंदे ने कहा कि शिवसेना में फूट की नौबत ही नहीं आती, अगर शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के साथ नहीं जाती. उन्होंने कहा,’ कैसे ये सब हुआ, क्यों हुआ ये महाराष्ट्र में सबको पता है. इसका मेरे मुख्यमंत्री बनने से कोई संबंध नहीं है. कुछ पाने के लिए हमने ये सब नहीं किया. हमने चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था. जनता ने अपना मत बीजेपी-शिवसेना की सरकार बनाने के लिए दिया था. लेकिन जनता की इच्छाओं के खिलाफ जाकर 2019 के चुनाव के बाद महाविकास आघाड़ी सरकार का गठन हुआ.’

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