भीलवाड़ा सहित राजस्थान के 10 जिलों में आतंक की स्लीपर सेल सक्रिय

 


जयपुर। भीलवाड़ा सहित राजस्थान के 10 जिलों में आतंक की स्लीपर सेल सक्रिय होने की जानकारी जांच एजेंसियों को मिली है। उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की गला रेतकर की गई हत्या की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और राजस्थान पुलिस का एंटी टेररिस्ट स्क्ववाड (एटीएस) के अफसरों का मानना है कि अरब देशों से होने वाली फंडिंग से आतंक की स्लीपर सेल सक्रिय रही है।

एनआईए और एटीएस के अफसर अधिकारिक रूप से तो इस बारे में बोलने को तैयार नहीं है। लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में कतर, कुवैत, संयुक्त अरब अमिरात और बहरीन से पैसा आया है। यह पैसा पापुलर फ्रंट आफ इडिया (पीएफआई) से जुड़े लोगों के खाते में आया है। बाद में यह पैसा आतंकी गतिविधियों से जुड़े लोगों तक पहुंचाया गया है।एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि एनआईए और एटीएस की सक्रियता के बाद पीएफआई से जुड़े अधिकाशं कट्टरपंथी लोग या तो राजस्थान से बाहर चले गए या फिर अपने पुराने ठिकानों को बदल लिया है। टोंक निवासी मुजीब ने प्रदेश के कई जिलों मे मुस्लिम समाज के युवाओं को अलसूफा से जोड़ा था। वह कट्टरपंथी साहित्य और एक तय रकम इन युवाओं को भेजता था। मुजीब पहले जेल जा चुका है। पिछले एक सप्‍ताह से जांच एजेंसियों ने सक्रियता बढ़ाई है।

 

सूत्रों के अनुसार प्रदेश के टोंक, करौली, अजमेर, भीलवाड़ा, कोटा, बाड़मेर, जैसलमेर, उदयपुर, झुंझुनूं और जोधपुर जिलों में आतंक की स्लीपर सेल के कई मोडृयल काम कर रहे हैं। जांच में सामने आया कि कन्हैयालाल हत्याकांड के दोनों मुख्य अभियुक्त मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद पिछले चार साल से आतंकी नेटवर्क से जुड़े हुए थे। दोनों ने पाकिस्तान में प्रशिक्षण लिया था। पिछले महीने अजमेर दरगाह इलाके में भड़काऊ भाषण एवं नारेबाजी करने के आरोप में पकड़े गए दरगाह के खादिम गौहर चिश्ती के पास मुस्लिम देशों से पैसा आया था । सूत्रों के अनुसार रियाज, गौस और गौहर आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के स्लीपर सेल अलसूफा से जुड़े हुए थे।

 पूनिया बोले, सिमी का ही दूसरा रूप है पीएफआई

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई)स्टूडेंट इस्लामिक मुवमेंट आफ इंडिया (सिमी) का ही दूसरा रूप है। पूनिया ने कहा कि सीमावर्ती जिलों में पीएफआई का जाल फैला हुआ है। उन्होंने कहा कि पीएफआई पर पाबंदी लगाने को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को केंद्र सरकार को पत्र लिखना चाहिए। उन्होंने सीएम पर पीएफआई को संरक्षण देने का भी आरोप लगाया है। 

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