सुसंस्कारों की बिजली गुल होने पर गलत आदतों का मीटर शुरू

 


भीलवाड़ाHALCHAL। घर के सुसंस्कार एवं सुसंस्कृति सुरक्षित रहना जरूरी है इनके बिना जिंदगी का जहाज सुरक्षित रूप से पार नहीं हो सकता है। सुसंस्कारों की बिजली गुल होने पर गलत आदतों का मीटर शुरू हो जाता है जो पूरे खानदान की इज्जत को मिटा सकता है। आप चाहते परिवार का कोई सदस्य गलत आदतों का शिकार न हो तो सुसंस्कारों की बिजली कभी जा न पाए। सुसंस्कारों का सूर्य छुपने पर गलत आदतों का अंधेरा स्वतः छा जाता है। एक बार गलत आदतों का अंधेरा छाने पर ऐसी कोई ट्यूबलाइट नहीं जो रोशनी कर सके। ये विचार श्रमणसंघीय सलाहकार सुमतिप्रकाशजी म.सा. के सुशिष्य आगमज्ञाता प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने शुक्रवार को शांतिभवन में चल रहे चातुर्मास के तहत बड़ी होती बेटियों एवं उनके अभिभावकों के मार्गदर्शन के रूप में तीन दिवसीय विशेष प्रवचन श्रृंखला ‘पिंकी का क्या होगा’ के पहले दिन व्यक्त किए। उन्होंने इसके माध्यम से बच्चों के प्रति माता-पिता के दायित्वों एवं बदलते सामाजिक व पारिवारिक परिवेश पर भी चर्चा करते हुए कहा कि यदि चाहते है परिवार के सदस्यों में गलत आदते नहीं लगे तो सुसंस्कारों की बिजली लगानी होगी ये पूरे वातावरण को शुद्ध बनाए रखेगी। हर घर में सुसंस्कारों की तुलसी पनपे इसके प्रयास हो। मुनिश्री ने कहा कि इस प्रवचन माला के माध्यम से उन तीन शब्दों के बारे में चर्चा होगी जिन्हें जानने की नहीं जीने की जरूरत है। इसके तहत पहला शब्द है ‘सारणा’ यानि याद दिलाना या चेताना। बच्चों को हमेशा ये याद दिलाते रहना अभिभावकों का कर्तव्य है कि तुम्हारे दादा-दादी इस तरह का जीवन जीते थे, परिवार में ये अच्छे कार्य हुए है, पारिवारिक इतिहास की गरिमा याद दिलाए। उन्होंने अफसोस जताया कि अब न बच्चों के पास न दादा-दादी के पास समय है सब बिजी हो गए है। इसका सबसे बड़ा नुकसान परिवारों के अंदर बुराईयां आना शुरू हो गया है। सारणा का अभाव हो गया है जिसके माध्यम से भटके हुए को भी संभाला जा सकता है। जैसा घर का माहौल होगा वैसा ही बच्चों का हाल होगा। घर का अच्छा माहौल बनाना बड़ो की जिम्मेदारी है। पूज्य समकितमुनिजी ने कहा कि आज घरों का माहौल ऐसा हो गया है कि दो वर्ष के बच्चें के रोने पर जरूरत मां के प्रेम व वात्सल्य की होती है लेकिन उसकी जगह मोबाइल हाथ में थमा रहे तो बच्चा धर्मराज कैसे बन पाएगा। धतराष्ट्र के नेत्रहीन होने व गांधारी के आंखों पर पट्टी बांध लेने से कौरव वंश में दुर्योधन होने के प्रसंग की चर्चा करते हुए मुनिश्री ने कहा कि जब बच्चों की तरफ से माता-पिता आंखें बंद कर लेते है या आंख होते हुए भी अंधे बनकर बैठ जाते है तो संतान का धर्मराज बनना सपना हो जाता है। आंखें है ओर उन्हें खुली नहीं रखी तो समय आने पर बच्चें तुम्हारी आंखे खोल देंगे। कोई जन्म से दुर्योधन नहीं होता घर के माहौल से वह ऐसे हो जाते है। घर का माहौल ही होता है जो किसी को धर्मराज तो किसी को दुःशासन बनाता है।

बच्चों को साधनों के साथ संस्कार नहीं देने पर हो जाता सत्यानाश

पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने सूरज व सोमा नामक दंपति की इकलौती बेटी पिंकी की कथा सुनाते हुए कहा कि बेटी को खूब प्यार करने वाले माता-पिता ने उसके लिए कई सपने संजोए थे। मुंह से कोई शब्द निकला ओर पिता मांग पूरी कर देते। उन्हांेंने कहा कि जीवनापयोगी साधनों के साथ यदि संस्कार नहीं दिए तो मिले हुए साधन सत्यानाश कर देते है। हम यहीं चूक कर रहे है साधन तो दे रहे है लेकिन संस्कार नहीं दे पा रहे है। पिता का कर्तव्य बच्चों की हर मांग पूरी करना ही नहीं बल्कि ऐसे संस्कार देना भी है जो उसके जीवन की सुरक्षा करें। वर्तमान माहौल भंयकर है और अब बच्चों को भटकाने वाले साधन घर में ही आ गए है। घरवालों को एक-दूसरे से बात करने का समय भी नहीं है। घरवालों से अधिक जुड़ाव बाहर वालों से हो गया है। मुनिश्री ने कहा कि  हाई-फाई स्कूल में प्रवेश करा देना मात्र बच्चों को सद्गुणी बनाने की गारंटी नहीं है। माता-पिता प्रवेश दिलाने के बाद लापरवाह होने की बजाय सावधान रहे और बच्चों को भी सावधान करते रहे।धर्मसभा के शुरू में गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने ‘‘आपका शुक्रिया’’ गीत प्रस्तुत किया। धर्मसभा में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य मिला।

चातुर्मास में लगी तप साधना की होड़

चातुर्मास में तप साधना की भी होड़ सी लगी हुई है। धर्मसभा में शुक्रवार को सुश्राविका साधना सेठ ने 11 उपवास एवं सुश्रावक अमरसिंह धूपिया ने 10 तपस्या के प्रत्याख्यान पूज्य समकितमुनिजी म.सा. से ग्रहण किए। तपस्या करने वालों की अनुमोदना के जयकारों से प्रवचन स्थल गूंज उठा।  

रक्षाबंधन पर भाई-बहन का जोड़े से जाप एवं विशेष प्रवचन

चातुर्मासिक आयोजन के तहत 7 अगस्त को दोपहर 1.30 से 3 बजे तक शांति भवन में प्रश्नमंच का आयोजन होगा।  रक्षाबंधन पर 11 अगस्त को ‘‘बदलते रिश्ते बदलता रक्षाबंधन’’ विषय पर विशेष प्रवचन के साथ सुबह 9 से 9.30 बजे तक भाई-बहन का जोड़े से जाप होगा। श्रीशांति जैन महिला मंडल के तत्वावधान में शांतिभवन में पूज्य समकितमुनिजी के सानिध्य में शांतिभवन में 13 से 15 अगस्त तक प्रतिदिन दोपहर 2.30 से 4.30 बजे तक बच्चों के लिए बाल भास्कर शिविर का आयोजन होगा। इसमें 8 से 15 वर्ष की उम्र तक के बच्चों को मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। 

 

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