बिना भगवान को समर्पण किए भोजन करना चोरी समान: संत रामेश्वरानंद

 


भीलवाड़ा BHN
जगन्नाथपुरी के संत रामेश्वरानंद महाराज ने कहा कि भगवान को लगाया गया समर्पण भाव से भोग ग्रहण करना ही ऊंचा उठाता है। बिना समर्पण किए भोजन करना चोरी समान है। पहाड़ और वनस्पति देवता है। देवताओं का हम अपने आवास, भोग विलासिता में उपयोग पत्थर एवं लकड़ी के रूप में कर रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण नहीं कर पाने से देवता क्रोधित होकर अनावृष्टि कर रहे हैं। अनावृष्टि जैसे भयानक दृश्य से जीवन कष्टमय हो रहा है। आज इन सभी वनस्पति, पहाड़ की सुरक्षा एवं संरक्षण की आवश्यकता है। समर्पण भाव परमात्मा के प्रति समाज के प्रति रखना होगा।   संत श्री सोमवार को श्री रामधाम रामायण मंडल ट्रस्ट की ओर से आयोजित चातुर्मास प्रवचन के तहत गीता पाठ के तहत रामधाम में श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सेवा से चित्त शुद्ध होता है। मुझे आश्रम में गुरु के पास 10 वर्ष तक सेवा करके चित्त शुद्धि के बाद ज्ञान प्राप्त हुआ है। काम, क्रोध, लोभ व मोह को त्याग कर ही हम परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं। नित्य कर्म, संस्कार व करुणा हमें प्रगति की ओर ले जाती है। प्रवक्ता गोविंद प्रसाद सोडानी ने बताया कि संत राजेश्वरानंद ने विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ किया। श्रावण मास के चलते रामधाम शिवालय में सोमवार को भक्तों का ताता लगा रहा। रामधाम के शिवालय में भगवान शिव का रुद्राभिषेक व फूलों का श्रृंगार ओमप्रकाश व सरोज देवी शर्मा  काशीपुरी वालों की तरफ से किया गया। इस मौके पर संत श्री ने कहा कि भगवान शंकर को बिल्व पत्र एवं चावल चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। घी चढ़ाने से वंश का विस्तार होता है। दूध चढ़ाने से सारे दुख नष्ट हो जाते हैं। इस दौरान सभी भक्तों ने पंडित रमाकांत शर्मा के सानिध्य में भोले बाबा को बिल्व पत्र अर्पित किए।  प्रवचन के प्रारंभ में संत श्री का माल्यार्पण भक्तों की ओर से  किया गया। रामधाम गौशाला में रामगोपाल मनीष तोषनीवाल आसींद वालों की ओर से अपने परिजनों की पुण्य स्मृति में गायों को लापसी खिलाई गई।

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