अब कोरोना वायरस 15 फीट दूर तक बैठे व्यक्ति को कर सकता है संक्रमित

 

दिल्ली ।.  अभी तक कोरोना (Coronavirus ) जमीन, फर्श, दरवाजे या किसी भी वस्तु पर ठहरते हुए जिंदा रहता था, लेकिन अब यह हवा में तैरता पाया जा रहा है, जो लोगों के लिए और घातक साबित हो सकता है। कानपुर आईआईटी की रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है। इसमें बताया गया है कि अब सांस छोड़ने भर से कोरोना के और प्रभावी होने के संकेत मिले हैं। यह एयरोसोल के जरिए हवा में रहता है। हवा में रहते हुए वायरस 15 फीट दूर तक बैठे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। ऐसे में सार्वजनिक समारोह, बैठकों में यह ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। आईआईटी ने इसके लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं, जिनके जरिए इससे निपटा जा सकता है।

क्या है एयरोसोल-
हवा में धूल के कणों का चक्र बनाकर तैरने वाले ठोस के बेहद ही महीन कण या द्रव की अत्यंत छोटी बूंदों को एयरोसोल कहते हैं। इनके लिए कहा गया है कि प्राकृतिक, किसी उपकरण व तकनीक से जब तक इनका खात्मा नहीं होता, तब तक यह सक्रिय रहते हैं। कुछ इन्हीं तरह के प्रदूषित कणों के एयरोसोल से धुंध व कोहरे की स्थिति बनती है। यह आइआइटी की रिसर्च में सामने आया है कि कोरोना के केस में यदि कोई व्यक्ति संक्रमित है, तो उसके महज बात करने व सांस छोड़ने भर से पांच माइक्रोन से भी छोटे कण बिना वेंटिलेशन वाले स्थानों पर 12 से 14 घंटे तक घूमते रहते हैं।

15 फीट तक पहुंच सकता है वायरस-

सिविल इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर व पर्यावरणविद् प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी ने कहा कि ड्रॉपलेट को एंटीबैक्टीरियल व एंटीवायरल लिक्विड और स्प्रे से साफ किया जा सकता है, लेकिन एयरोसोल के साथ ऐसा नहीं है। वायरस एयरोसोल के जरिए हवा में तैरते हुए सीधे 15 फीट तक पहुंच सकता है। इसीलिए बैठक व किसी समारोह में संक्रमित व्यक्ति से नहीं मिलने पर भी दूसरों तक यह संक्रमण पहुंच रहा है। दरअसल ड्रॉपलेट हवा में तैरते संक्रमित कणों की तुलना में भारी होते हैं। वजन इनका 20 माइक्रोन तक होता है, जिस कारण ये ज्यादा देर तक हवा में नहीं रह पाता और कुछ ही क्षणों में जमीन पर गिर जाता हैं। इससे खतरा अपेक्षाकृत कम रहता है।

यह है उपाय-
प्रो. त्रिपाठी का कहना है कि ऐसे सभी स्थानों के वेंटिलेशन सिस्टम को सुधारने की जरूरत है, जहां पर एक साथ कई लोग एकत्रित हों। इनमें घर, दफ्तर व सामुदायिक केंद्र समेत कई अन्य स्थान शामिल हैं। इनमें वेंटिलेशन का ऐसे बंदोबस्त होना चाहिए कि एयरोसोल के जरिए हवा में तैरते कोरोना को खत्म किया जा सके।

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