लॉक डाउन का असर अस्पतालों में ऑक्सीजन युक्त बेड खाली ,3 दिन में बिके 10 रेमडेसीविर इंजेक्शन

 


भीलवाड़ा (हलचल विजय गढ़वाल) लोक डाउन के चलते कोरोना संक्रमण पर भी लगाम लगी है अब सरकारी और निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन युक्त बेड खाली पड़े हैं वही रेमडेसीविर इंजेक्शन की मांग भी घट गई है पिछले 3 दिनों में मात्र 10 इंजेक्शन खरीदे गए।

भीलवाड़ा के सबसे बड़े महात्मा गांधी अस्पताल और हाल ही में बनाए गए अग्रवाल उत्सव भवन के कोविड- सेंटर में 100 से ज्यादा ऑक्सीजन युक्त बेड खाली पडे है अकेले अग्रवाल उत्सव भवन में ही 80-85 बेड खाली बताये गए। यही हाल निजी अस्पतालों का भीी है पिछले सप्ताह तक ऑक्सीजन बेड को लेकर मारामारी मची हुई थी लेकिन अब अस्पताल के बेड 30 से 40 प्रतिशत तक खाली बताए जा रहे हैं।

लॉक डाउन का दिखने लगा असर

महात्मा गांधी अस्पताल के पीएमओ डॉ अरुण गोड ने कहा कि कोरोना के मरीजों के लिए अच्छी खबर है। अब सामान्य चिकित्सालय में कोरोना के मरीजों को ऑक्सीजन बेड के लिए इंतजार नहीं करना पडेगा। पिछले काफी दिनों से चल रही वेटिंग अब खत्म हो गई है।  उन्होंने कहा कि लोकडाउन का असर अब दिखने लगा है। कोरोना की चेन टूटने लगी है। इससे मरीजों की संख्या कम हो रही है।

   3 दिन में 10 रेमडेसीविर इंजेक्शन खरीदे निजी अस्पतालों में

  उधर कुछ दिन पहले रेमडेसीविर इंजेक्शन की मारामारी थी और यह ब्लैक में बेचे जा रहे थे लेकिन अब पिछले 3 दिनों से एक निजी चिकित्सालय द्वारा मात्र 10 इंजेक्शन खरीदे गए बाकी किसी भी अस्पताल में इंजेक्शन ओं की तरफ देखा भी नहीं जिससे अब लगने लगा है कि मरीजों की संख्या घटी है और कोरोना काबु में आने लगा है।

ऑक्सीजन बेड के लिए थी मारामारी

पिछले सप्ताह तो हालात ऐसे थे कि ऑक्सीजन के एक बेड के लिए लोगों को नेताओं अधिकारियों और चिकित्सकों के चक्कर लगाने पड़ रहे थे तब कहीं जाकर ऑक्सीजन बेड उपलब्ध हो पा रहा था गरीब लोगों की तो हालत खस्ता नजर आई थी सरकारी और निजी अस्पतालों के बाहर कई लोगों ने तो बेड के इंतजार में दम तोड़ दिया था ।

मिली राहत

पिछले 1 माह से सरकारी और निजी अस्पतालों में काम कर रहे चिकित्सकों नर्सेज स्टॉप और अन्य कर्मचारियों को ओवर काम करना पड़ रहा था लेकिन लोक डाउन के बाद हालात धीरे-धीरे सुधर हैं और उन्हें अब राहत मिली है

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