गहलोत और पायलट खेमे बीच फिर रार, अब राहुल संभालेंगे विवाद सुलझाने की कमान

 

जयपुर। राजस्थान कांग्रेस के विवाद से पार्टी आलाकमान चिंतित है। एक साल बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। प्रदेश में बढ़ती रार से कांग्रेस आलाकमान चिंतित है। अब प्रदेश के नेताओं के बीच विवाद को खत्म करने का जिम्मा पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने संभाला है। सूत्रों के अनुसार पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बीच इस संबंध में बात हुई है। राहुल गांधी अगले कुछ दिनों में गहलोत, पायलट सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं से बात करेंगे। कोविड के कारण यह बातचीत वर्चुअल हो सकती है।

आलाकमन धरियावद व वल्लभनगर विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनाव से पहले प्रदेश के नेताओं के बीच का विवाद निपटाना चाहता है। हालांकि राहुल गांधी कोरोना महामारी के बीच विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे और वेदप्रकाश सोलंकी द्वारा दिए गए बयान से खुश नहीं है। लेकिन पायलट को पार्टी के लिए असेट मानते हैं। कई सालोें तक राजस्थान के प्रभारी रहे एक राष्ट्रीय पदाधिकारी का कहना है कि राहुल गांधी गहलोत को भी नाराज नहीं करना चाहते और पायलट को भी खुश करना चाहते हैं। ऐसे में कोई बीच का रास्ता तलाशा जा रहा है।

 

दरअसल, पायलट खेमा चाहता है कि आलाकमान अपने वादे के अनुरूप शीघ्र मंत्रिमंडल विस्तार,राजनीतिक नियुक्तियों व संगठन के पदों पर नियुक्तियां करें। राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन इस बारे में कई बार गहलोत से बात कर चुके। लेकिन मुख्यमंत्री फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार अथवा राजनीतिक नियुक्तियां करने के मूड में नहीं है। माकन ने सार्वजनिक रूप से कई बार तारीख देकर पायलट खेमे को आश्वस्त किया कि उनकी मांग पूरी हो जाएगी। लेकिन गहलोत पायलट खेेमे को उनकी मांग के अनुरूप तवज्जो देने के पक्ष में नहीं है। गहलोत कोरोना महामारी के दौरान किसी भी तरह से वे राजनीतिक फैसले नहीं लेना चाहते,जिससे आम जनता में सही संदेश नहीं जाए और भाजपा को सरकार को घेरने का मौका मिले । वहीं पायलट खेमा शीघ्र राजनीतिक निर्णय कराना चाहता है ।

 फिर सार्वजनिक हुआ विवाद

ढ़ाई साल पहले सरकार में आने के बाद मुख्यमंत्री पद की कुर्सी को लेकर गहलोत और पायलट के बीच शुरू हुआ विवाद अब भी जारी है। पायलट मुख्यमंत्री तो नहीं बन सके, लेकिन उपमुख्यमंत्री बनकर करीब डेढ़ साल तक उन्होंने गहलोत को स्वतंत्र रूप से फैसले नहीं लेने दिए। दोनों के बीच खींचतान इतनी बढ़ी कि पिछले साल पायलट ने अपने समर्थक मंत्रियों व विधायकों के साथ मानेसर में डेरा जमा लिया गहलोत को हटाने का प्रयास किया। हालांकि उनकी यह रणनीति सफल नहीं हो सकी और पार्टी आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद वे वापस जयपुर आ गए थे। उस समय कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष स्व.अहमद पटेल व महासचिव प्रियंका गांधी ने पायलट खेमे को सत्ता व संगठन में भागीदारी देने का आश्वासन दिया था।

 

विवाद निपटाने के लिए एक कमेटी भी बनाई गई थी। लेकिन आश्वासन पूरा नहीं होने से अब पायलट खेमे का धर्य जवाब देने लगा। दो माह पूर्व विधानसभा सत्र के दौरान पायलट खेमे के विधायकोें ने सरकार को कई मुद्दों पर घेरा था। अब चार दिन पहले वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी ने इस्तीफा दे दिया। पायलट समर्थक दूसरे विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने मीडिया में बयान देकर सरकार को घेरा। पायलट के विश्वस्त रमेश मीणा, विश्वेंद्र सिंह और दीपेंद्र सिंह शेखावत आगामी दिनों में विभिन्न मुद्दों को लेकर सीएम व मंत्रियों को घेर सकते हैं।

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