लाॅकडाउन में पशुपालन, फसल उत्पादन एवं बागवानी की सलाह
भीलवाड़ा हलचल। वैश्विक महामारी कोरोना को मध्यनजर रखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र भीलवाड़ा ने किसान भाईयों हेतु एडवाइजरी जारी की है ताकि कृषि से सम्बन्धित कार्य प्रभावित न हो। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डाॅ. सी. एम. यादव ने बताया कि पशुपालक डेयरी में पशुओं की ठांण को स्वच्छ रखें तथा ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करें। डेयरी में काम आने वाले उपकरणों एवं बर्तनों को साबुन के पानी से अच्छी तरह साफ करें। मुर्गीपालक मुर्गीघर को सैनिटाइज करे तथा अण्डों का सुरक्षित भण्ड़ारण करें। पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु पशु चिकित्सक द्वारा टीकाकरण करवायें। छोटे बछड़ें-बछड़ियों में पेट के कीड़े मारने की दवा देते रहें। अधिक आमदनी हेतु घर के पिछवाड़े आँगन में प्रतापधन मुर्गीपालन करें। कौशल विकास हेतु ग्रामीण महिलाएँ केन्द्र द्वारा आयोजित प्रशिक्षणों में भाग लेवें। डाॅ. यादव ने जैविक पोषण वाटिका की स्थापना के लिए पालक, धनियाँ, मिर्च, भिण्ड़ी, लौकी, तुरई, करेला के पौधारोपण और खाद-उर्वरक की तकनीकी बताते हुए फल एवं सब्जियों का मूल्य संवर्धन कर आय में वृद्धि करने के टिप्स दिए। शस्य वैज्ञानिक डाॅ. के. सी. नागर ने बताया कि किसान भाई फसल बीमा अवश्य करवायें। मानसून की वर्षा आने से पूर्व खरीफ की फसलों के उन्नत किस्म के बीज खरीद कर रख लें और मानसून की वर्षा आते ही मक्का एवं ज्वार का बीजोपचार कर बुवाई करें। खरपतवार प्रबन्धन हेतु मक्का एवं ज्वार की फसल में एट्राजीन एक किलोग्राम प्रति हैक्टर की दर से बुवाई के तुरन्त बाद 600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। अधिक उपज हेतु खेतों में गोबर की खाद डालें। मृदा, जल एवं वायु में प्रदूषण को रोकने के लिए जैविक आधारित सब्जियों एवं फसलों का उत्पादन करें। उन्नत के किस्म के बीज प्रयोग में लेवें और बीजोपचार करें। मृदा परीक्षण करवाकर मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिशों के अनुसार कृषि कार्य करें। |
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