रोहिणी नक्षत्र के साथ भगवान नरसिंह का प्राकट्य उत्सव, यह योग कष्ट नाश का बना रहा संयोग

 

इस वर्ष रोहिणी नक्षत्र (नौतपा) के साथ भगवान नरसिंह प्राकट्य उत्सव का अद्भुत योग बन रहा है। 25 मई को बन रहे इस अद्भुत योग को लेकर ज्योतिष व धर्म के जानकारों का मानना है कि यह योग लोगों के संताप को काफी हद तक कम करेगा। चूंकि नौतपा भी उग्रता लिए हुए होता है और भगवान नरसिंह का स्वरूप भी उग्र है अत: इन दोनों का साथ में आना इस बात का प्रतीक है कि इस वक्त यदि भगवान नरसिंह की विशेष आराधना की जाए तो लोगों की परेशानियां दूर होगी। यह सुखद संयोग इस बार बेहतर बारिश के योग भी लिए आ रहा है।

उज्जैन आधारित पंचांग के अनुसार रोहिणी नक्षत्र में सूर्य 25 मई की दोपहर 1.02 बजे प्रवेश करेंगे जो 14 वें दिन 8 जून को इस नक्षत्र से निकलकर मृगशिर नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। जोधपुर आधारित पंचांग के अनुसार इस दिन सुबह 8.45 बजे सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इन गणना के आधार पर इस बार नौतपा 3 जून तक रहेगा।

 

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बेहतर वर्षा के हैं योग

ज्योतिर्विद पं. विजय अड़ीचवाल के अनुसार जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आता हैं वह और भी उग्र हो जाता है व उसे नौतपा कहा जाता है। पंचांग में इस वर्ष रोहिणी नक्षत्र का वास समुद्र तट पर बताया गया है। रोहिणी का वाहन वृषभ होने से वर्षा काल मे श्रेष्ठ वर्षा के योग बन रहे हैं। इस वजह से इस बार उत्तर वर्षा का योग बन रहा है। जल में होने वाली खेती की फसल बहुत अच्छी होगी। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उत्तम वर्षा के योग बनेंगे। अन्न व रस परिपूर्ण होंगे। इससे फसलों का भरपूर उत्पादन होगा। इस वर्ष नव मेघों में आवर्त्त नामक मेघ वृष्टि करेगा। पंचांग के अनुसार वर्षा ऋतु का आरंभ 22 जून को होगा। इस दिन सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे।

कष्टों का होगा नाश

आचार्य गोपाल पुजारी के अनुसार रोहिणी नक्षण के वास के अनुरूप कहीं-कहीं खंड वर्षा के योग भी बन रहे हैं। इसके साथ ही आंधी-तूफान व चक्रवात की भी आशंका है। नवतपा में गुरु सि्थर योग बनने से बेहतर ही होगा। चूंकि गुरु सि्थर योग है तो ऐसे में दान, जप, तप करना श्रेष्ठ होता है। गुरु परोकारी होता है व भगवान नरसिंह का प्राकट्य दिवस भी इसदिन है इसलिए व्याधि, कष्ट आदि के निवारण के योग भी बन रहे हैं। नरसिंह प्राकट्य दिवस पर घर में ही भगवान नरसिंह का पूजन करें। यदि भगवान नरसिंह का चित्र या मूर्ति न हो तो विष्णुजी की पूजा करें, नरसिंह मंत्र का जाप करें।

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