कोरोना की दूसरी लहर से उद्योग एवं व्यापार को विपरित प्रभाव से बचाने के लिए आर्थिक पेकेज जारी करने की मांग
भीलवाड़ा हलचल ।मेवाड चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री ने केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को प्रतिवेदन भेजकर कोरोना की दूसरी लहर से उद्योग एवं व्यापार को विपरित प्रभाव से बचाने के लिए गत वर्ष की तरह आर्थिक पेकेज शीघ्र जारी करने की मांग की। चेम्बर के मानद महासचिव आर के जैन के कहाकि अप्रेल माह से प्रारम्भ कोरोना की दूसरी लहर का इस बार छोटे कस्बों एवं गांवों में काफी विपरित प्रभाव पडा है। बडी संख्या में ग्रामीण क्षेत्र के निवासी भी इस बीमारी की चपेट में आये है। इसके साथ ही देश के विभिन्न राज्यों में स्थानीय लाॅकडाउन के चलते बाजार बंद होने से, शादी-विवाह एवं अन्य सामाजिक तथा धार्मिक कार्यो पर प्रतिबंध होने से उपभोक्ता मांग में बहुत कमी आई है। यद्यपि वर्तमान समय में उद्योग संचालन पर प्रतिबंध नही है लेकिन मांग में कमी, बाजार बंद होने से भुगतान प्राप्त नही होने से तरलता का संकट गहरा रहा है। अधिकांश उद्योग अपनी पूरी क्षमता से कार्य नही कर पा रहे है। ऐसी परिस्थिति में उद्योग एवं व्यापार के लिए आर्थिक राहत पेकेज शीघ्र घोषित किया जाना चाहिए। मेवाड चेम्बर ने वित्त मंत्री से मांग की कि सरकार को एमरजेंसी क्रेडिट गारन्टी स्कीम पुनः लागू करनी चाहिए, जिसके तहत 31 मार्च 2021 को बकाया कार्यशील पूंजी का 10 प्रतिशत अतिरिक्त कार्यशील पूंजी बैंको द्वारा बिना किसी अतिरिक्त कोलेटरल गारन्टी के उपलब्ध कराई जाये। रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया को एनपीए के लिए नियमों को संशोधित किया जाकर बैंक ऋण भुगतान में डिफाल्ट की सीमा 90 दिन से बढाकर 180 दिन की जानी चाहिए। साथ ही बैंक ऋण एवं ब्याज भुगतान में एक वर्ष के लिए स्थगन लागू किया जाना चाहिए। पूर्व में घोषित विभिन्न राहत पेकेज की अवधि 31 मार्च 2022 तक बढाई जानी चाहिए। बैंक ऋणों के पुर्नगठन के लिए रिपेमेन्ट टर्म का लचिला बनाया जाना, ब्याज की दरों को कम किया जाना एवं आवश्यकता अनुसार नये ऋणों की स्वीकृति आदि के प्रावधान किये जाने चाहिए। जैन ने कहाकि बैंको द्वारा कोविड समयावधि में जानबूझ कर अच्छे संचालित उद्योग एवं व्यवसाय को भी डिफाल्टर श्रेणी में डाला जा रहा है इससे उद्योग एवं व्यापार के ऋण लेने की क्षमता पर विपरित प्रभाव पड रहा है। रिजर्व बैंक की ओर से बैंको को इस विषय में उचित सलाह जारी करनी चाहिए। गत वर्ष कोविड अवधि के दौरान माननीय उच्चतम न्यायालय ने मार्च से अगस्त 2020 की अवधि के लिए ब्याज पर ब्याज नही लेने के सिद्धान्त को लागू किया था एवं बैंको की ओर से इसकी पालना की गई थी। इसी तरह इस वर्ष भी अप्रेल 2021 से 2 तिमाही में साधारण ब्याज लिए जाने एवं ब्याज पर ब्याज नही लिये जाने के निर्देश जारी किये जाने चाहिए। बैंको की ओर से एमएसएमई उद्योगों को भी क्रेडिट रेटिंग के आधार पर ब्याज दर तय की जाती है। क्रेडिट रेटिंग का कार्य बहुत मंहगा होने से अधिकांश एमएसएमई उद्योग रेटिंग नही करवा पाते है एवं उनसे बडे उद्योगों के मुकाबले ज्यादा ब्याज लिया जा रहा है। वर्तमान परिपेक्ष में एमएसएमई उद्योगों के लिए क्रेडिट रेटिंग की शर्त समाप्त की जाकर न्यूनतम दर पर ब्याज लिया जाना चाहिए। वर्तमान में उद्योग तरलता एवं मांग की कमी से स्टॉक की अधिकता से जुझ रहे है। क्रेडिट नार्म के तहत 90 से 120 दिन के स्टाॅक की सीमा को बढाकर 180 से 240 दिन के स्टॉक सीमा एवं उधारी को ऋण पात्रता में सम्मिलित किया जाना चाहिए। चेम्बर ने मांग की कि सरकार को बकाया विभिन्न तरह के अनुदान एवं जीएसटी रिफण्ड तत्काल कराने की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि उद्योगों को आवश्यक धनराशि तत्काल प्राप्त हो सके। निर्यात को बढावा देने के लिए इनरेस्ट इक्वेलाइजेशन स्कीम को टेक्सटाइल एवं अन्य उत्पाद जो कि वर्तमान में सम्मिलित नही है, इन्हें भी इस स्कीम में सम्मिलित किया जाना चाहिए एवं टेक्सटाइल के लिए इन्रेस्ट इक्वेलाइजेशन की दर 3 प्रतिशत से बढाकर 5 प्रतिशत की जानी चाहिए। विश्वव्यापी कोरोना संकट को देखते हुए सभी तरह के निर्यात पर दो वर्ष के लिए 3 प्रतिशत एडहोग एक्सपोर्ट इन्सेन्टीव दिया जाना चाहिए। बैंक ऋण के लिए एक्सपोर्ट ऋण वसूली की अवधि 9 माह से बढाकर एक वर्ष की जानी चाहिए। सभी उत्पादों के लिए ड्रा बैक की दरों को भी तर्कसंगत रुप बढाया जाना चाहिए। |
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