शहीदों को नमन,आत्मधर्म के साथ राष्ट्रधर्म निभाने वाला ही हकीकत में संत-समकितमुनि

 


 भीलवाड़ा BHN। न जाने कितने लोगों ने अपना सर्वस्व देश के लिए अपर्ण किया तब जाकर हमे आजादी प्राप्त हुई। जैन संत आत्मकल्याण के लिए निकले है लेकिन उनके लिए सबसे पहले राष्ट्र है, देश सुरक्षित है तो हम भी सुरक्षित है। ऐसे कई श्रावक हुए है जिन्होंने राष्ट्रधर्म एवं आत्मधर्म दोनों की पालना की है। ये विचार श्रमणसंघीय सलाहकार सुमतिप्रकाशजी म.सा. के सुशिष्य आगमज्ञाता प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने सोमवार को स्वाधीनता दिवस पर शांतिभवन में विशेष प्रवचन में व्यक्त किए। उन्हांेंने कहा कि शहीदों के उन माता-पिता को आज नमन करने का दिन है जिन्होंने अपने बच्चों को राष्ट्रसेवा में समर्पित कर दिया। इन शहीदों के बलिदान के कारण ही हम आज आजादभारत में घूम रहे है। पूज्य समकितमुनिजी ने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन में जैन संतों का भी बहुत बड़ा योगदान रहा। विदेशी वस्तु बहिष्कार आंदोलन के समय एक ही शिक्षा देते स्वदेशी अपनाओं, खादी अपनाओ। संत हकीकत में वो ही होता है तो आत्मधर्म के साथ राष्ट्रधर्म को भी निभाना जानता है। उन्होंने कहा कि नगर व राष्ट्रधर्म को स्वीकार किए बिना आत्मधर्म नहीं हो सकता। राष्ट्र व नगर धर्म की पालना नहीं करने वाला श्रेष्ठ कैसे हो सकता है। मुनिश्री ने कहा कि हम संत से पहले देश के नागरिक है। समाज के नियमों की पालना करना संत का धर्म है। 

   मासखमण तप आराधना पर अभिनंदन-अनुमोदना 

भीलवाड़ा की चन्द्रशेखर आजादनगर निवासी सुश्राविका सुनीता सकलेचा की मासखमण की तप आराधना सोमवार को शांतिभवन में पूज्य समकितमुनिजी से 31वें उपवास के प्रत्याख्याण ग्रहण करने के साथ पूर्ण हुई। धर्मसभा में श्रीवर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ शांतिभवन की ओर से तप साधिका सुनीता का अभिनंदन एवं तप अनुमोदना हुई। तपस्या की बोली बोलकर कुछ श्रावक-श्राविकाओं ने भी उनका अभिनंदन किया। श्रीसंघ की ओर से संरक्षक सुरेन्द्रसिंह सुराणा, चातुर्मास संयोजक नवरतनमल बंब, श्रीसंघ मंत्री राजेन्द्र सुराना, उपाध्यक्ष सुरेश सिंघवी, सहमंत्री प्रकाश पीपाड़ा, कोषाध्यक्ष मदनलाल सिपानी, श्री शांति जैन महिला मंडल की अध्यक्ष स्नेहलता चौधरी, मंत्री सरिता पोखरना, संरक्षक इन्द्रा बापना, श्री महावीर युवक मंडल सेवा संस्थान के पूर्व अध्यक्ष हेमंत बाबेल आदि पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने अभिनंदन एवं स्वागत करते हुए तप अनुमोदना की। जैन कॉन्फ्रेंस राजस्थान महिला शाखा की ओर से प्रान्तीय अध्यक्षा नीता बाबेल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लाड़जी मेहता,महामंत्री चंदा कोठारी, नीतू चोरड़िया, विजियादेवी डूंगरवाल,बलवीर चौरड़िया आदि पदाधिकारियों ने तप आराधिका सुनीतादेवी का अभिनंदन करते हुए अनुमोदना की। 

 पर्युषण में प्रवचन के बाद खोलनी है दुकानें 

धर्मसभा में पूज्य समकितमुनिजी ने कहा कि 24 अगस्त से अष्ट दिवसीय पर्युषण पर्व की पर्व आराधना शुरू हो रही है। इस अवधि में सभी श्रावकों को जिनवाणी श्रवण करने के बाद दुकाने खोलनी है। उन्होंने बुर्जुग श्रावकों से कहा कि अपने पुत्रों व पौत्रों को भी इस बात के लिए समझाना है। मुनिश्री ने कहा कि कई पदाधिकारियों के परिजन ही प्रवचन में नहीं आ रहे है। जब हम परिवार वालों को नहीं जोड़ पा रहे है तो बाहर वालों को कैसे जोड़ेगे। शुरू में गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने देशभक्ति से ओतप्रोत गीत ‘ओ देशे मेरे तेरी शान में’ प्रस्तुत किया। धर्मसभा में भवान्तमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य मिला। धर्मसभा का संचालन श्रीसंघ के मंत्री राजेन्द्र सुराना ने किया। 

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