एमआरपी की आड़ में खेल: दाम गिरने के बावजूद खाद्य तेल पर 30 से 70 रुपये प्रति लीटर अधिक वसूल रहे दुकानदार

 


दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन, सीपीओ, बिनौला, पामोलीन खाद्य तेल की थोक कीमतों में गिरावट आई। सरकार के प्रयासों से खाद्य तेलों की कीमतें लगातार कम हो रही हैं, इसके बावजूद खुदरा बाजार में दुकानदार 30 से 40 रुपये प्रति लीटर महंगा बेच रहे हैं। 

एमआरपी के बहाने लूट
     
बाजार सूत्रों का कहना है कि जिस तरह खाद्य तेलों के थोक मूल्य में कमी आई है, उसका लाभ आम उपभोक्ताओं को भी मिलना चाहिए, लेकिन उन्हें मनमाने ढंग से एमआरपी के बहाने लूटा जा रहा है। इसे दुरुस्त करने की जिम्मेवारी सरकार को निभानी चाहिये।

एमआरपी की आड़ में मौजूदा कीमत के हिसाब से सरसों तेल 154-160 रुपये लीटर मिलना चाहिए पर ग्राहकों को लगभग 190 रुपये लीटर के आसपास इसे बेचा जा रहा है। इसी तरह ग्राहकों से मूंगफली पर लगभग 70 रुपये किलो, सूरजमुखी पर लगभग 40 रुपये किलो और बाकी खाद्य तेलों पर 30-40 रुपये किलो अधिक लिए जा रहे हैं।

सरकार को इसे दुरुस्त करना होगा

अभी कुछ महीने पहले सरकार के साथ तेल उद्योग के बड़े कारोबारियों की बैठक में खाद्य तेलों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) को अधिक रखने जैसी गड़बड़ी की बात सामने आयी थी, लेकिन एमआरपी को लेकर अभी भी गड़बड़ियों की शिकायतें हैं और सरकार को इसे दुरुस्त कराने को लेकर चौकन्ना होना पड़ेगा। छापे मारने से कहीं अधिक कारगर खुदरा में बिकने वाले खाद्य तेलों के एमआरपी की जांच से मदद मिलने की संभावना है। नहीं तो सरकार के शुल्क कम करने जैसी पहल का कोई फायदा नहीं होगा।

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