गंभीर बीमारियों की जनक है तंबाकू
राजसमन्द राव दिलीप सिंह तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल पर रोक लगाने तथा तंबाकू के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक पार्श्व प्रभाव की ओर आमजन का ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से वर्ष 2022 की थीम "पर्यावरण के लिए खतरनाक है तंबाकू" के साथ "विश्व तंबाकू निषेध दिवस" मना रहा है ! तंबाकू का इस्तेमाल सेहत को काफी नुकसान पहुंचाता है ! इस खास दिन पर, इस बारे में इससे जुड़ी हर तरह की जानकारी विभिन्न माध्यमों से जनता तक पहुंचाई जाती है ! वर्तमान में दुनियाभर में 1.22 बिलियन तंबाकू सेवन करने वाले लोगों में से हर साल 85 लाख से अधिक मौत तंबाकू व इससे बने उत्पादों के सेवन के कारण हो रही है अथार्त पूरी दुनिया में प्रति 6 सेकंड पर एक व्यक्ति की मौत का कारण तंबाकू बन रहा है, जिनमें से 20 लाख के लगभग महिलाएं शामिल है ! विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, अकेले भारत देश में 30 करोड़ लोग तंबाकू सेवन के आदि है अथार्त हर तीसरा व्यक्ति तंबाकू का सेवन कर रहा है जिनमें से लगभग 20 लाख लोग प्रतिवर्ष तंबाकू जनित बीमारियों के कारण मर रहे हैं ! सर्वाधिक 5.54 लाख लोग तंबाकू जनित कैंसर के शिकार होकर दम तोड़ रहे हैं ! तंबाकू सेवन में महिलाएं भी पीछे नहीं है, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 12% महिलाएं एवं शहरी क्षेत्रों में 6% महिलाएं तंबाकू उत्पाद का प्रयोग करती है ! तंबाकू की खपत का स्तर अनपढ़ बच्चों और किशोरों में अधिक देखा गया है और दुनिया भर के धूम्रपान करने वालों की संख्या में 12% लोग अकेले भारत में है ! तंबाकू सेवनकर्ताओ का यह आंकड़ा भारत के लिए बेहद ही चिंताजनक है ! युवाओं में तंबाकू सेवन बना फैशन आज की युवा पीढ़ी तेजी से तंबाकू निर्मित पदार्थों का सेवन करने में आगे बढ़ रही है तथा तंबाकू उत्पाद के सेवन को अपना सोशल स्टेटस व फैशन समझने लगे हैं ! यह सत्य है कि नशा, नाश की जड़ है ! नशा भले ही शान और लत के लिए किया जाता है, पर यह जिंदगी की बेवक्त आने वाली शाम को निमंत्रण देता है ! इसका मजा भले ही कुछ टाइम के लिए लिया जाता होगा, लेकिन यह मजा ही जिंदगी भर की सजा दिलाता है ! नशीली वस्तुएं एवं युक्तियां जैसे स्मोकिंग, हुक्का, कच्ची तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट, सिगार, चिलम, पान मसाला, खैनी, जर्दा, आदि पदार्थ कहीं ना कहीं तंबाकू से ही तैयार किए जाते हैं और युवाओं के द्वारा इनका बड़े पैमाने पर सेवन करने का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है, जो उनके स्वयं के स्वास्थ्य के साथ-साथ सामुदायिक स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बनता जा रहा है ! तंबाकू सेवन के कारण फेफड़ों का कैंसर, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, लीवर कैंसर, आंत का कैंसर, मुंह और गले का कैंसर, टीबी, डायबिटीज का खतरा, ह्रदय रोग, हृदयाघात, धमनी काठिन्यता, महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर, श्वास अवरोध, कुकर खांसी, कफ विकार, जैसी कई प्रकार की गंभीर बीमारियां हो रही है ! तंबाकू में पाया जाने वाला खतरनाक निकोटीन रसायन कुछ समय के लिए तो आनंद और उत्तेजना की अनुभूति देने वाला व तनाव को दूर करने का मीठा आभास जरूर करवाता है लेकिन धीरे धीरे इंसान की शारीरिक एवं मानसिक निर्भरता निकोटीन रसायन के प्रति बढ़ जाती है और वह नशे का आदी बना देता है जिसके कारण कालांतर में इंसान को घुट-घुट कर मरने के लिए मजबूर करता है ! तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध के बावजूद बेचान जारी प्रदेश में सार्वजनिक स्थानों, शिक्षण संस्थानों व कार्यालयों के आस-पास 100 मीटर के दायरे में तंबाकू व इससे बने उत्पादों के बेचान पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा हुआ है ! बावजूद, इसके अधिकांश सरकारी कार्यालयों की दीवारें, सीढ़ियां, दीवारों के कोने तथा शौचालय आदि स्थान तंबाकू उत्पादों को खाकर थूके गए पीक व पाउचो से बदरंग व दागदार हुए पड़े हैं ! अधिकांश चाय व परचून सामग्री की दुकानों पर सभी ब्रांड के प्रतिबंधित तंबाकू उत्पाद बेझिझक बेची जा रही है ! अनेकों बार शिकायतों के बावजूद भी विक्रेताओं पर, किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं होती है ! यदि किसी शासन-प्रशासन के जिम्मेदार व्यक्ति से इस बारे में सवाल किया जाता है तो वह भी तंबाकू खाते हुए ही अपनी प्रतिक्रिया व बाइट देता है, जिसके कारण आज देश-प्रदेश़ो में तंबाकू जनित बीमारियों व मौतों के आंकड़े लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं ! तंबाकू खाकर थूकने की प्रवृत्ति, एक सामाजिक विकृति तंबाकू उत्पादों पर निर्माता कंपनी द्वारा कैंसर जैसी महामारी होने की खतरनाक चेतावनी व सूचना दिए जाने के बावजूद भी आदतन लोग तंबाकू उत्पाद के सेवन करने से नहीं चूकते हैं तथा प्रतिबंधित तंबाकू के गुणों का बखान करते नहीं थकते हैं ! यही नहीं बल्कि शादी-विवाह, मृत्यु-भोज या समाज में अतिथियों के मान- मनुहार के लिए विभिन्न प्रकार के तमाम तंबाकू उत्पाद बड़े ही आदरभाव व सम्मान के साथ परोसे जाने को सामाजिक परंपरा बताते हैं ! इस प्रकार तंबाकू का बढ़ता प्रचलन सामाजिक स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है ! कोरोना जैसी घातक वैश्विक महामारी के संक्रमण काल के समय में तंबाकू-उत्पाद खाकर थूकने की प्रवृत्ति के कारण संक्रमण का खतरा और भी अधिक बढ़ रहा है ! इसलिए धूम्रपान के सेवन से होने वाली हानियां और खतरे से विश्व जनमत को आगाह किया जाना चाहिए तथा तंबाकू उत्पाद व उसके सेवन को कम करने की दिशा में आधारभूत कार्रवाई की जानी चाहिए ! पर्यावरण की सेहत के लिए खराब तंबाकू उत्पाद प्रकृति एवं प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए संगठन शिक्षित कैलाश सामोता रानीपुरा का कहना है कि प्रतिबंधित तंबाकू उत्पाद के सेवन के बाद हवा में उड़ाए जाने वाले धुएं के छल्ले एवं फुका जाने वाला रंगीन पीक, न केवल मानव शरीर तथा उसके संपर्क में आने वाले जीव मात्र की सेहत को प्रभावित करता है बल्कि हमारे चारों ओर के पर्यावरण को भी गहरा नुकसान पहुंचाता है ! तंबाकू उत्पाद को पैक करने में काम में ली जाने वाली प्लास्टिक की थैलियां एवं इसके खाने व जलने के बाद थूका व छोड़ा जाने वाला धूआं व घातक रसायन पर्यावरण के घटक वायु, जल एवं मृदा परिस्थितिक तंत्र एवं स्वास्थ्य के लिए बेहद ही नुकसानदायक साबित हो रहा है ! तंबाकू मुक्त क्षेत्र घोषित करने के दावे खोखले जिस प्रकार शासन प्रशासन खुले में शौच मुक्त होने के दावे प्रदेश के विभिन्न जिलों व क्षेत्रों में करता है, उसी तर्ज पर तंबाकू निषेध क्षेत्र घोषित करने की होड़ मची हुई है ! जबकि, इस प्रकार के जारी तमके या प्रमाण पत्र केवल अधिकारियों के ऑफिस में टगे हुए नजर आते हैं, धरातल पर तो वही तंबाकू उत्पाद के सेवन करने के बाद थूके जाने वाले पीक के रंग उन्हीं अधिकारियों के कार्यालयों की दीवारों के कोनों व सार्वजनिक रूप में देखे जा सकते हैं, क्योंकि शासन प्रशासन को इन तंबाकू उत्पाद के बेचान से मोटा राजस्व व टैक्स जो अर्जित किया जाता है, इन्हें जनता के स्वास्थ्य से कोई लेना देना नहीं है ! |
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