दो साल बाद शुरू हुई वन्यजीवों की गणना

 


जयपुर,। राजस्थान में दो साल के लम्बे इंतजार के बाद बुद्धपूर्णिमा (16 मई) को एक बार फिर वन्यजीवों का गणना शुरू हुई है। प्रदेशभर में सोमवार को सुबह आठ बजे से शुरू हुई वन्यजीवों की गणना मंगलवार सुबह आठ बजे तक चलेगी इस दौरान वनकर्मी वाटर होल पद्धति से 24 घंटे तक वन्यजीवों की गणना करेंगे वनकर्मी मचान पर बैठकर वन्यजीवों पर निगरानी रखेंगे । इस काम में कैमरों की मदद भी ली जाएगी। 30 मई तक प्रदेश भर में वन्यजीवों के गिनती के आंकड़े एकत्रित कर जयपुर स्थित वन मुख्यालय में एकत्रित कि जाएंगे। वन विभाग के अधिकारी कार्मिकों के माध्यम से लगातार दिन-रात निगरानी कर वन्यजीवों की गणना करेंगे।उल्लेखनीय है कि पिछले दो साल कोरोना संक्रमण और ताऊ-ते तूफान की वजह से वन्यजीवों की गिनती नहीं हो पाई थी। ऐसे में दो साल बाद होने जा रही गिनती में वन्यजीवों की संख्या बढ़ने की संभावना है। वन विभाग के अनुसार हमेशा वन्यजीवों की गिनती वाटर होल पद्धति के आधार पर होती है। इस गिनती के तहत वन्यजीव 24 घंटे में पानी की तलाश में वाटर पाइंट (पानी के टांकों ) तक पहुंचते हैं। ऐसे में पानी के टांकों पर वन्यजीवों की गणना होती है।

ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को वन्य जीव गिनती इसलिए करवाई जाती है। क्योंकि इस रात को रोशनी अधिक रहती है। ऐसे में वन्यजीव अभ्यारण्यों और जंगलों में पेड़ों पर बने मचान पर बैठ वन्यजीवों की गिनती की जाती है। जिससे गिनती के दौरान वन्य जीवों को कोई परेशानी नहीं हो।साल,2019 में हुई वन्यजीव गणना के अनुसार प्रदेश में दो लाख 2 लाख 52 हजार 342 वन्यजीव थे।अब इस संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है। इनमें 637 लेपर्ड, 655 रीछ, 867 भेड़िया, 1267 बिज्जू, 487 चौसिंघा, 3927 चीतल, 42,590 चिंकारा, 2688 जरख, 4462 जंगली बिल्ली, 16,933 जंगली सूअर, 25,298 काला हिरण, 35,891 लंगूर बंदर, 8331 लोमड़ी, 3746 नेवला,77,737 नीलगाय, 919 सांभर, 3388 सेही, 22,519 सियार गीदड़ शामिल हैं। वहीं अब होने जा रही गिनती में वन्यजीवों की सख्या बढ़ने की उम्मीद है।

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