जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब प्रभु पृथ्वी पर अवतार लेते है- पंडित व्यास

 


पुर BHN

उपनगर पुर में भागवत कथा के चौथे दिन पंडित अशोक व्यास ने बताया कि गाय  विश्व की माता है आप अगर गौ सेवा करते हैं तो 33 करोड देवताओं की सेवा का फल मिलता है, परंतु हमारा दुर्भाग्य है अपने ही देश में अपने ही राष्ट्र में हम लोग गाय की सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं। हम यदि गो सेवा करें, उन्हें संरक्षण दें तो गाय अन्यत्र विचरण नही करेगी उनकी हत्या ही नहीं होगी इसके लिए सब का सहयोग जरूरी है। हम लोग जितना भी प्रयास कर रहे हैं वह कम है। कथा के माध्यम से मैं विशेष निवेदन करना चाहूंगा कि गौ हत्या को रोकना ही चाहिए जो गाय बूढ़ी है जो अपाहिज हो गई है उन्हें भी हम उन्हें गौशालाओं में सुरक्षित पहुंचाने का प्रबंध करें उनकी सेवा करे वर्तमान में जो प्रदूषण फेल रहा है चाहे  वायुमंडल में  हो या मानवजीवन का  प्रदूषण रोकने में कई बाधाएं उत्पन्न हो रही है गाय के  गोमूत्र और गोबर के माध्यम से सभी प्रकार के प्रदूषण को रोका जा सकता है  जमदग्नि के आश्रम में जो गाय हैं उस गाय की सेवा का प्रसाद क्या है यदि 50000 अतिथि एक साथ आ जाए तो भी ऋषि जमदग्नि के आश्रम में रहने वाली गाय उसके प्रताप से सब की सेवा हो जाती है जब-जब धर्म की हानि होती है अधर्म पांव पसारता है तब तब मेरे भगवान को अवतार लेना पड़ता है। देवताओं की कार्य की सिद्धि के लिए पहले भगवान राम अवतार हुआ उसके बाद में भगवान श्री कृष्ण का अवतार हुआ। सुखदेव महाराज राजा परीक्षित को कह रहे हैं पृथ्वी पर जब-जब पाप बढ़ जाते हैं  अधर्म का बोलबाला हो जाता है दुराचारी व्यक्तियों का आतंक बढ़ जाता है तब तब भगवान का प्राकट्य होता है जब जब होई धर्म की हानि, बारहि असुर अधम अभिमानीतब तब धर प्रभु विविध शरीरा हरहि दयानिधि सच्जन पीड़ाजब इस धरती पर धर्म की हानि होगी, असुरों और अधर्मियों का अन्याय धरती पर बढ़ जाएगा. तब तब प्रभु अलग अलग रूपों में अवतार लेकर धरती पर आयेंगे, और सच्जनों और साधु संतों को उन अधर्मियों के अन्याय से मुक्ति दिलाएंगे. ये रामायण की वो चौपाई है, जिसमें सम्पूर्ण युगों और कालखंडों का सार है. मानवजाति के लिए ये एक सम्पूर्ण बात है.ये सच है हर युग में प्रभु ने अवतार लेकर धरती से अधर्मियों और अधर्म का अंत किया है. जीवन में बहुत सारे बदलाव होते हैं. ऐसे ही युगों में भी बदलाव होते हैं. हर युग में इस धरती पर पाप और पुण्य सामान रूप से रहे, और जब पापियों का अन्याय बहुत बढ़ जाता है, मनुष्य के लिए जीवन कठिन होते लगता है. तब तब प्रभु किसी न किसी रूप में धरती पर ज़रूर आये हैं.भगवान विष्णु ने कई अवतार लेकर असुरों का अंत किया. और उनके प्रमुख अवतारों में श्रीराम और श्रीकृष्ण के अवतार मुख्य माने जाते हैं. श्रीराम ने ज्यादा से ज्यादा स्वयं ही असुरों का अंत किया. और श्रीकृष्ण भी वही किया, और कई लोगों को अधर्म पर विजय प्राप्त करने का मार्ग सुझाया.इंसान को सत्कर्मों पर ही चलकर अपना जीवन बिताना चाहिए. अधर्म करने के बहुत से रास्ते हैं, जो हमारा पथ भ्रमित करते हैं. पर हमें हमेशा ये याद रखना चाहिए कि, ईश्वर हमें देख रहे हैं. संयम और धैर्य ही जीवन की सभी परेशानियों से हम सबको बाहर निकालते हैं. अन्याय और बुरे कर्म न तो मन को शांति देते हैं, और ना आत्मा को, हर तरह के रास्ते हमारे सामने आते ही हैं. पर उनपर चलने का और उन्हें चुनने का अधिकार हमारा ही होता है.गाय का रूप धारण किया पृथ्वी ने और देवताओं के पास जाकर बोली अगर इसी प्रकार से पाप कर्म बढ़ते रहें तुम एक दिन रसातल में चली जाऊंगी जो मेरे बर्दाश्त से बाहर होगा ऐसा पृथ्वी के मन में विचार आया देवताओं ने ब्रह्मा से प्रार्थना की ब्रह्मा ने पृथ्वी को कहाँ  देवनारायण के आदेशानुसार मथुरा में वसुदेव नाम के राजा होंगे वसुदेव जी के पत्नी देवकी के गर्भ से नारायण कृष्ण रूप में अवतरित होकर आएंगे और उनके प्राकृतिक से ही इस सृष्टि को अनाचार दुराचार के विचारों का प्रचार से मुक्त क यह जानकारी राजेश शर्मा ने दी उन्होंने ये भी बताया कि श्री जरिशन जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया  कथा में मुरलीधर व्यास राजेन्द्र नोसलिया हरिशंकर विश्नोई भगवती लाल जाडोलिया गोविंद जाडोलिया कमला देवी भारद्वाज मायादेवी विद्यादेवी ऋचा अंजलि मीनू आदि ने आरती की

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