सोचनीय :अस्पतालों में आग से बचाव के पर्याप्त इंतजाम नहीं

 


दिल्ली ।  अस्पतालों में आग से बचाव के पर्याप्त इंतजाम नहीं है। अधिकतर सरकारी और निजी को अग्निशमन विभाग का गैर अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) नहीं मिला है। बावजूद इसके सारे अस्पताल चल रहे हैं। अगर जनसंख्या को देखा जाए तो उस हिसाब से  सरकारी और निजी अस्पतालों में बिस्तरों की भारी कमी है। कोरोना काल भी हम सबने देखा है कि अस्पतालों में बिस्तर के लिए लोगों ने क्या-क्या नहीं किया है।

जरा सी चूक हो सकती है खतरनाक

सामान्य दिनों की बात करें तो सरकारी अस्पतालों में रोजाना औसतन हजारों की संख्या में मरीज उपचार के लिए आते हैं। ऐसे में इन अस्पतालों में आग से पर्याप्त इंतजाम नहीं होने पर बंद नहीं किया जा सकता है। लेकिन बिना आग से सुरक्षा के चलने देना भी नहीं चाहिए। अस्पताल में लगी आग सबसे भयावह हो सकती है। एक छोटी सी चिंगारी को भयानक रूप लेने में कुछ ही मिनट का समय लगता है। ऐसे में उसे काबू करने में दमकलकर्मियों काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है साथ ही अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए यह दर्दनाक और भयावह हो सकता है। ऐसे में जिन अस्पतालों को अग्निशमन विभाग द्वारा एनओसी किसी न किसी कमी की वजह से नहीं दिया गया है और वह चल रहे हैं उनमें कम से कम आग से बचाव की इतनी तो व्यवस्था होनी ही चाहिए ताकि प्रारंभिक स्तर पर आग लगते ही उसे बुझाया जा सके।

शुरुआती आग को बुझाने के हो उपाय

वहां आग बुझाने के सिलेंडर, स्पि्रंकलर, धुए की पहचान और धुआं निकालने वाले सिस्टम के साथ ही अलार्म इत्यादि लगें हों, ताकि शुरुआत में आग की पहचान होने के साथ ही उसे बुझाया जा सके। इसके लिए ठोस काम करने की जरूरत है। दूसरी बात यह भी है कि अस्पतालों आग से सुरक्षा के इंतजाम न के बराबर हैं यह कहना ठीक नहीं है। अस्पतालों में आग बुझाने के सिलेंडर, स्पि्रंकलर जैसे उपकरण तो लगे हैं लेकिन इन उपकरणों की ठीक से देखभाल नहीं की जाती है। ऐसे में जरूरत पड़ने पर उपकरण ठीक से काम नहीं करते। इसके साथ ही यह भी देखा गया है कि आपात की स्थिति में इन उपकरणों का लोग सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाते। और आग भयावह रूप ले लेती है। ऐसे में लोगों को उपकरणों को ठीक तरह से उपयोग करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

दमकल का नहीं पहुंच पाना सबसे बड़ी खामी

सरकारी अस्पतालों में यदि आग से बचाव के उपाए नहीं है तो इसके लिए वहां के सरकारी अधिकारी और भवन बनाने वाला विभाग जिम्मेदार है। क्योंकि कई अस्पताल के निर्माण में खामी की वजह दमकल की गाड़ियों के पहुंचने का रास्ता नहीं मिल पाता। प्रमुख रूप से अस्पतालों को अग्निशमन विभाग द्वारा 20 मानकों को पूरा करने के बाद ही एनओसी दी जाती है। इसमें मुख्य रूप से अस्पताल के चारों ओर दमकल की गाड़ियों के जाने का रास्ता, 15 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले अस्पताल में स्पि्रंकलर सिस्टम, स्वचालित स्मोक डिटेक्टर और हीट डिटेक्टर सिस्टम, कंट्रोल पैनल, पंप और पंप रूम की व्यवस्था, आपातकाल की स्थिति में चार तरह से निकास आदि हैं। यदि अस्पताल में यह मानक नहीं है तो अग्निशमन विभाग अस्पताल प्रशासन को नोटिस भेज कर जवाब मांगा जाता है, यदि नोटिस में दिए गए समय अवधि के भीतर जवाब नहीं आता है तो जुर्माना लगाया जाता है, भवन में लगा पानी-बिजली का कनेक्शन काटने के साथ ही मामूली जुर्माना वसूलने का प्रविधान है।

नहीं हो पाता है निरीक्षण

दूसरी तरफ एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि दमकल कर्मी किसी तरह आग पर काबू तो पा लेते हैं। लेकिन अन्य कार्य में बाधा आती है। अधिकारियों की कमी के कारण जिन भवन को पहले एनओसी मिल चुकी है उसका निरीक्षण तक नहीं हो पाता। इस स्थित में विभाग बगैर निरीक्षण नोटिस कैसे जारी कर सकता है। इसको लेकर भी सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे।

बड़े अस्पतालों में छोटे दमकल केंद्र खोलने की पहल 

हाल ही में बड़े अस्पतालों में छोटा दमकल केंद्र खोलने की बात आई थी। यह आग की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम है। इससे अस्पतालों में आग लगने की स्थिति में तुंरत काबू किया जा सकता है, इसके साथ ही यदि आग काबू में नहीं आ रही तो कम से कम इतना तो समय जरूर मिल सकता है कि जब तक दमकल की अन्य गाडि़यां मौके पर पहुंचेंगी तब तक आग को अधिक फैलने से रोका जा सकता है। अस्पतालों में आग से सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से कई ¨बदुओं पर योजना बनाकर काम करने की जरूरत है। नियम और सख्त किए जाएं ताकि वहां मौजूद लोगों की जान आग से सुरक्षित रहे

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