गांधीसागर व नेहरू तलाई में जा रहे गंदे नालों पर रोक लगा सौन्दर्यीकरण करें वाटरमैन राजेन्द्र सिंह ने झीलों की दूर्दशा पर जाहिर की नाराजगी

 

भीलवाड़ा। प्राचीन गांधीसागर तालाब व नेहरू तलाई में मलमूत्र वाले गंदे पानी एवं कचरे को देखकर अचंभित हुए मैग्ससे एवं नोबल पुरस्कार विजेता वाटरमैन ऑफ इण्डिया राजेंद्र सिंह ने नगर परिषद व जिला कलेक्टर से तत्काल झीलों मंे जा रहे गंदे पानी के नालों को रोककर झीलों को प्रदूषण मुक्त कर सौंदर्यीकरण कर नौका विहार शुरू कराने की अपील करते हुए कहा है कि उक्त दोनों झीलें शहर के मध्य मंे स्थित होकर आकर्षण का केन्द्र साबित होगी।

वाटरमैन सिंह ने पीपुल फॉर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू द्वारा गांधीसागर, नेहरू तलाई व मानसरोवर झील व अन्य तालाबों की जमीनों का आवंटन रुकवाने, गंदे नालों से आ रहे पानी को बंद कराने एवं झीलों का सौन्दर्यीकरण कर नौका विहार करने, इनके संरक्षण हेतु नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में जाकर जनहित याचिका दायर कर संरक्षण हेतु आदेश करवाने संबंधी कार्यों की प्रशंसा करते हुए झीलांे के संरक्षण हेतु सदैव कार्यरत रहने की सीख दी। झीलों की दुर्दशा देख नाराजगी जताते हुए वाटरमैन राजेन्द्र सिंह ने कहा कि न्यायालयों द्वारा जुर्माना लगाये जाने के बावजूद भी झीलांे का विकास नहीं हुआ है, जो निराशाजनक है।

पीपुल फॉर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू ने सिंह को झीलों का अवलोकन करवाते हुए बताया कि लगभग 10 करोड़ रूपया खर्च करने के बावजूद संबंधित विभागीय अधिकारियों की लापरवाही एवं अनदेखी से झीलों का विनाश ही हुआ है। नगर परिषद के अधिकारियों द्वारा 9 माह पूर्व गांधी सागर व नेहरू तलाई में जाने वाले गंदे पानी के नालों को बंद करने का भरोसा दिलाया था परंतु वर्तमान में और अधिक गंदा पानी इन झीलों में जा रहा है। पूर्व में इन झीलों पर प्रवासी पक्षी आते थे जो भी झीलों में फैले प्रदूषण के कारण आना बंद हो गये हैं। जाजू ने परिषद व प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करते हुए चेतावनी दी है कि यदि 30 दिन में अगर गंदे नालों को झीलों में जाने से नहीं रोका गया तो फिर एनजीटी में जाकर कार्रवाई हेतु बाध्य होना पड़ेगा। झील अवलोकन के दौरान पीएफए जिलाध्यक्ष सुनील जागेटिया व गौरव जाजू मौजूद थे।

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