शहीदों के बलिदान एवं परिश्रम से मिली आजादी की रक्षा करना हमारा कर्तव्य - डाॅ. पंवार

 


भीलवाड़ा । कृषि महाविद्यालय, भीलवाड़ा में आज ‘‘तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा‘‘ का नारा बुलन्द करने वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयन्ति धुम-धाम से मनाई गयी। श्रृद्धा सुमन अर्पित करते हुए महाविद्यालय के अधिष्ठाता डाॅ. एल.एल. पंवार ने बताया कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के उर्जावान उद्बोधनों से भारत के हर नागरिक के खून मे विषेष ऊर्जा का संचार होता है। उनके विचार देष के शहीदों, उनके बलिदान की गाथाओं से ओत-प्रोत होते थे। इसलिए हमारा कर्तव्य है कि स्वतंत्रता आन्दोलन में शहीदों के बलिदान एवं परिश्रम से मिली आजादी को सहेज कर रखे। कार्यक्रम के दौरान चर्चा करते हुए डाॅ. पंवार ने बताया कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस बचपन से विलक्षण प्रतिभा के धनी थे आजादी के संग्राम में शामिल होने से पूर्व उन्होने भारतीय सिविल सेवा की नौकरी की थी। भारत माॅ को स्वतंत्रता दिलाने के लिए नेताजी ने जो अभुतपूर्व प्रयास किये उन्हे न सिर्फ सदियों तक याद रखा जाएगा, बल्कि देष के नागरिक हमेषा के लिए उनके कृतज्ञ रहेंगे। आजादी के दौरान उन्होने कई मौको पर देष मे और देष के बाहर अनेको सभाओं को सम्बोधित किया। इन्ही सम्बोधनों से कुछ ऐसे विचार आए जो नौजवानों में उर्जा भरने का कार्य किया।
महाविद्यालय के डाॅ. प्रकाष पंवार ने चर्चा करते हुए बताया कि उन्होने लंदन से सिविल सेवा परीक्षा पास की। 1921 से 1941 के बीच नेताजी को भारत की अलग-अलग जेलों में 11 बार कैद में रखा गया। जलियावाला बाग काण्ड ने उनको इतना झकझोर दिया कि वे आजादी की लड़ाई में कूद पड़ें। उन्होने भारत के राष्ट्रवाद मे एक ऐसी शान्ति का संचार किया जो लोगों के अन्दर सदियों से निष्क्रिय पड़ी थी।
कृषि महाविद्यालय के सहायक अधिष्ठाता एवं छात्र कल्याण अधिकारी डाॅ. रविकान्त शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए बताया कि महान क्रान्तिकारी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उडीसा के कटक शहर में हुआ। उनके पिता कटक शहर के जाने-माने वकील थे। सर्वप्रथम गांधीजी को राष्ट्रपिता कहकर सुभाष चन्द्र बोस ने ही सम्बोधित किया तथा सुभाष चन्द्र बोस को सबसे पहले नेताजी कहकर एडोल्फ हिटलर ने पुकारा था। 
महाविद्यालय के सहायक आचार्य डाॅ. एच.एल. बुगालिया ने अपने उदबोधन में बताया कि 1943 में नेताजी जब बर्लिन में थे, वहां उन्होने आजाद हिन्द रेडियों और फ्री इण्डिया सेन्टर की स्थापना की, नेताजी को भारतीय राष्ट्रीय काॅंग्रेस का दो बार अध्यक्ष बनाया गया। उनको किताबों का बहुत लगाव था, उन्होने स्वामी विवेकानन्द की जीवनी बहुत बार पढी बाद में उन्होने आजाद हिन्द फौज एवं महिलाओं के लिए झांसी की रानी रेजिमेन्ट बनाई उनके भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में किये योगदान को हमेषा यााद रखा जाएगा।
कार्यक्रम में महाविद्यालय की उद्यान वैज्ञानिक डाॅ. सुचित्रा दाधीच ने अपने उद्बोधन में बताया कि नेताजी की जीवनी पढने से उर्जा मिलती है उनके विचार क्रांतिकारी थे। वे हमेषा कहते थे याद रखिये सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है तथा एक सच्चे सैनिक को सैन्य और आध्यात्मिक दोनो ही प्रषिक्षणों की आवष्यकता होती है। 
कार्यक्रम मे महाविद्यालय के अन्य कर्मचारी एवं छात्रव छात्राऐं भी उपस्थित रहे तथा अन्त में महाविद्यालय के सभी कर्मचारियों एवं विद्यर्थीयों ने सुभाष चन्द्र बोस को माला पहना कर एवं पुष्पांजली अर्पित की।

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