नगर परिषद में बढ़ी खींचतान, होने वाली बोर्ड बैठक में उछल सकते है कई मुद्दे

 


भीलवाड़ा (हलचल)। नगर परिषद सभापति और आयुक्त में खींचातान के बीच दस दिन के भीतर बोर्ड बैठक बुलाने की बात सभापति राकेश पाठक ने की है। इस बोर्ड बैठक के हंगामेदार रहने की संभावना है। 
भीलवाड़ा शहर में व्यावसायिक काम्पलेक्सों को सीज करने और न करने को लेकर सभापति राकेश पाठक और आयुक्त दुर्गाकुमारी के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। दोनों ने अपना-अपना काम करने की बात कही है। दुर्गाकुमारी ने कहा कि वे कोर्ट के निर्देशों की पालना करते हुए कार्रवाई करेगी। इसी के चलते कॉम्पलेक्स सीज करने और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई है। लेकिन सभापति पाठक ने यह कहकर कॉम्पलेक्स वालों का बचाव किया है कि वह वर्षों पुराने है और कईयों के नक्शे भी पास है। इससे भी बड़ी बात उन्होंने बचाने के लिए कही कि वे किसी का रोजगार नहीं छिनना चाहते। इसे लेकर दोनों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। 
दूसरी ओर लोगों में यह चर्चा भी है कि खींचातान के चलते कॉम्पलेक्स व्यवसायियों को दूधारी गाय मानकर दुआ जा रहा है। पहले उनके खिलाफ माहौल बनवाया जाता है फिर उनसे माहौल शांत करने के नाम पर अच्छा खासा सुविधा शुल्क वसूला जा रहा है। इस काम में राजनीति और मीडिया से जुड़े कुछ लोगों के नामों की भी चर्चा है और इसकी ताहिद कल सभापति पाठक ने भी बातचीत के दौरान की थी। लोगों में चर्चा तो यह भी है कि ऐसे मामलों में सभी एक है लेकिन दिखावा कुछ और किया जा रहा है। जबकि शहर के हालात कितने बदतर हो चले है। इसकी ओर कोई ध्यान देने वाला नहीं है। नालियों के ढक्कन टूटे हुए है, रेलवे फाटक के बाहर खड्डे पड़े है और पानी का भराव आज भी है जिससे आने जाने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पुर रोड पर हाल ही में डामरीकरण किया गया लेकिन सड़क पर बेल मूतनी की तरह डामर चढ़ाया गया है। बिल कितने का उठेगा यह भी एक चर्चा का मुद्दा है। पुर रोड का सर्विस लेन पूरी तरह अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है। लेकिन जिम्मेदार लोग मूकदर्शक बने हुए है। आरोप तो यह भी लग रहे है कि कार वाले हो या वहां बाजार लगाने वाले लोगों से उनकी कोई नातेदारी है। आजाद चौक में अतिक्रमण की बात करें तो वहां दुपहिया वाहन भी आसानी से नहीं निकल सकता। आजाद चौक से गोल प्याऊ की ओर आने वाला मार्ग पूरी तरह अतिक्रमण कारियों के कब्जे में आ चुका है। शायद इस मार्ग पर अमिक्रमण की दस्ते की नजर नहीं है या फिर लोगों में चर्चा के अनुसार सड़क का भी माहवारी किराया सुविधा शुल्क के रूप में वसूला जा रहा है। 
नगर परिषद की दस दिन के अन्दर होने वाली बोर्ड बैठक में ये मुद्दे भी कुछ पार्षदों द्वारा उठाये जाने की चर्चा है। वैसे तो अतिक्रमण और अवैध निर्माणों का मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। अगर खींचतान बढ़ती है तो इसका नुकसान कॉम्पलेक्स मालिकों को ही उठाना पड़ेगा और मामला उच्च न्यायालय में चलता रहा तो हालत ट्वीन टॉवर की तरह यहां भी हो सकते है इससे इन्कार नहीं किया जा सकता। क्योंकि अधिकांश व्यवसायिक परिसरों में पार्किंग के नाम पर खानापूर्ति की गई है और शेडबेक नहीं छोड़ा गया है। 

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