न्याय के लिए न्यायिककर्मी दूसरे दिन भी सामूहिक हड़ताल पर, दास और बेगार प्रथा नारों से नहीं होगी खत्म ...!

 

भीलवाड़ा (हलचल/प्रहलाद तेली)। जयपुर में एक पीठासीन अधिकारी के आवास पर मृत मिले कर्मचारी  के मामले में एफआईआर दर्ज नहीं होने के साथ ही  परिवार को न्याय नहीं मिलने को लेकर प्रदेश भर के साथ भीलवाड़ा के न्यायिक कर्मचारी भी दो दिनों से सामूहिक अवकाश पर है और जब तक परिवार को न्याय नहीं मिलता यह आन्दोलन जारी रहेगा।
न्यायिक कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष दिलबहादूर सिंह ने गुरूवार को कहा कि भीलवाड़ा के न्यायिक कर्मचारी पिछले दो दिनों से सामूहिक अवकाश पर और तब तक रहेंगे जब तक जयपुर में एनडीपीएस एक्ट के तहत पीठासीन अधिकारी के आवास पर मृत मिले सहायक कर्मचारी सुभाष मेहरा के मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हो जाती और उसके परिजनों को 50 लाख का मुआवजा और आश्रित को नौकरी नहीं मिल जाती। इसे लेकर प्रदेश भर के न्यायिक कर्मचारी सीबीआई से जांच की मांग कर रहे है।
सबको न्याय दिलाने वाली न्याय पालिका के कर्मचारी के संबंध में ही न्याय के लिए प्रदेश भर के कर्मचारियों को आन्दोलन पर उतरना पड़ा है। उन्होंने कहा कि आज सहायक कर्मचारियों को दास और बेगार प्रथा झेलनी पड़ रही है। न्यायिक कर्मचारियों के आवासों पर सहायक कर्मचारियों से झाड़ू, पौचा, कपड़े धुलवाने का काम लिया जाता है। यही नहीं इनसे शौचालय भी साफ करवाये जाते है। सहायक कर्मचारी संघ की महिला नेता ने कहा कि नारे लगाने से दास और बेगार प्रथा खत्म नहीं होगी। इसके लिए हम सबको एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा कि अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच लगातार खाई बढ़ती जा रही है। हालात यह है कि अधिकारी हां कहते है हमें भी हां कहनी पड़ता है और ना कहते है तो ना। हम प्रेशर से काम करने को मजबूर है। इससे सहायक कर्मचारियों को मुक्ति मिलनी चाहिए। 

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