इधर भी देख लो सरकार, सड़कों पर लगे हैं कचरे के अम्बार

 


भीलवाड़ा (विजय/प्रहलाद) नगर परिषद सफाई के दावे तो लम्बे चौड़े करती है लेकिन न तो वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सफाई के सपने को साकार कर पा रही है और न ही भीलवाड़ा का नाम ऊंचा उठा पा रही है। जगह-जगह कचरे के ढेर लगे है। हद तो यह कि कचरे को डम्पिग यार्ड में नहीं ले जाकर सड़कों को ही कचरा डम्पिग यार्ड बनाने में जुटी है जिससे शहर की सौन्दर्यता पर कालिख पुत रही है। 
नगर परिषद का भाजपा बोर्ड शहर को स्वच्छ रखने के दावे तो कई किये है। रात्रि में सफाई कराने की सभापति राकेश पाठक ने बड़ी बड़ी घोषणा की लेकिन हालात सुधरने के बजाय बिगड़ते ही जा रहे है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पार्टी के कर्ताधर्ताओं की लापरवाही से ही शहर की हालात खराब है। सोमवार को जिला कलक्टर आशीष मोदी ने भी आयुक्त दुर्गाकुमारी को सफाई व्यवस्था को लेकर लताड़ लगाई है। 
60 फीट रोड बनी कचरा मैदान :
पांसल रोड पर द्वारिका कॉलोनी में 60 फीट की सीसी रोड बनी हुई है लेकिन इस रोड को नगर परिषद ने कचरा मैदान बना दिया है। मुख्य सड़क के पास ही द्वारिका कॉलोनी में उतरने वाली सड़क पर कचरे के ढेर लगा दिये है। करीब पांच सौ फीट तक सड़क के दोनों ओर कचरे के छोटे-छोटे पहाड़ बना दिये गए है। यही नहीं आस पास के क्षेत्र में भी नगर परिषद के कर्मचारी कचरे की गाडिय़ां खाली करने से बाज नहीं आते जिससे खाली भूखण्ड भी कचरे के ढेर से पट रहे है।
द्वारिका कॉलोनी की इस 60 फीट रोड के हालात ऐसे है कि वहां से गुजरने वाले लोगों को नाक भौंह सिकोडऩी पड़ती है। बदबू से आस पास के लोग भी परेशान है। कई बार परिषद कर्मचारियों को यहां कचरा नहीं डालने को मना करने के बावजूद वे कचरा सड़क पर फैला जाते है। आस पास के लोगों की मांग है कि कचरा ही डालना है तो स्टेण्ड तय करें पूरी सड़क को ही बर्बाद न करें।
सर्विस रोड बना टंचिंग ग्राउण्ड :
रामधाम और ट्रांसपोर्ट नगर के बीच नगर विकास न्यास ने लाखों रुपए खर्च कर सर्विस लेन बनाई थी और वाहनों के लिए स्टोपेज भी बनाते हुए सेड भी लगाया गया लेकिन सेड क्षतिग्रस्त हो चुका है वहीं पूरा मार्ग कचरे में तब्दील हो गया है। यहां नगर परिषद के कर्मचारी कचरा गाडिय़ों का कचरा खाली कर जाते है। जबकि यह कचरा सांगानेर स्थित टंचिंग ग्राउण्ड में खाली करने का प्रावधान है। जिससे सड़क पूरी तरह कचरे में तब्दील हो गई है। इसके हालात देखकर यह नहीं लगता कि नगर परिषद सफाई के अपने काम को पूरी मुस्तैदी से अंजाम दे रही हो।
डीजल बचाने का चक्कर :
प्रत्येक वार्ड में कचरा उठाने के लिए ऑटो टीपर लगाये हुए है और इसका ठेका करोड़ों में दिया हुआ है लेकिन जब से ठेका दिया हुआ है तब से सफाई के हालात बिगड़ते जा रहे है और जगह-जगह कचरे के ढेर लग रहे है। जानकारों की माने तो डम्पर और टीपर चालक डीजल बचाने के चक्कर में कचरा यहां वहां खाली कर रहे है। चित्तौड़ रोड और द्वारिका कॉलोनी तो मात्र उदाहरण है। शहर में ऐसी कई जगह है जहां कचरे के ढेर लगे रहते है। नगर विकास न्यास द्वारा बनाई गई रिंग रोड पर भी कई जगह कचरे के ढेर लगे है। 
दावे खोखले :
 नगर परिषद सफाई के नाम पर करोड़ों रुपए फूंक रही है लेकिन उनके दावे और रुपए बेकार ही साबित हो रहे है। परिषद ने रात्रि में सफाई कराने और शहर को चमकाने के बड़े बड़े दावे किये लेकिन हालात सुधरे नहीं है। शहर के सर्किलों के बीच कचरा नजर आता है। नालियां गंदगी से अटी पड़ी है। और मेन हॉल टूटे पड़े है।

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