मेजा की नहर खुली तो बापूनगर व मौखमपुरा फिर डुबेंगे पानी में !

 

भीलवाड़ा (विजय-प्रहलाद)। मेजा बांध नहर की अनदेखी के चलते एक बार फिर बापूनगर तलैया बन सकता है। संभावना जताई गई कि अगर नहर में पानी छोड़ा गया तो हालात पहले की तरह बिगड़ सकते है। इसके पीछे नहर में व्याप्त गंदगी को मुख्य कारण माना जा रहा है। 
मेजा बांध से सिंचाई के लिए निकल रही हलेड़ पहुंच रही नहर पांसल से हरणी के बीच तक पूरी तरह से गंदगी से अटी पड़ी है। इसे कूड़ाघर में तब्दील कर दिया गया है। कचरे के ढेर, मृत जानवर इसी में डाले जा रहे है। यही नहीं गन्दगी के कारण ग्राम सुअर भी इसमें अठखेलियां करते हुए देखे जा सकते है। 
नालों का पानी नहर में डालकर बना दिया कूड़ाघर :
भाजपा के पूर्व मण्डल महामंत्री हेमेन्द्र सिंह का कहना है कि मेजा बांध की नहर कचराघर में तब्दील हो गई है और इससे उठने वाली बदबू से बापूनगर, चन्द्रशेखर आजाद नगर आदि क्षेत्रों में नहर किनारे रहने वाले लोगों को दुर्गंध का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारियों को कहे जाने के बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सिंचाई विभाग पूरी तरह से मूकदर्शक बना हुआ है। नगर परिषद और यूआईटी भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। नहर की देखरेख की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग की है लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी से कन्नी काट रही है। पॉस कॉलोनियों के नाले भी इस नहर में छोड़ रखे है जिससे सारी गन्दगी इसमें जा रही है। 
नहर कचरे से पटी :
मौखमपुरा निवासी सत्यनारायण गूगड़ ने कहा कि मेजा नहर पूरी तरह से कचरे में तब्दील हो गई है। इस नहर से सैंकड़ों बीघा जमीन की सिंचाई होती है। मेजा बांध में वर्तमान में 15 फीट से अधिक पानी है और किसानों को अगर एक बार भी सिंचाई के लिए नहर से पानी दिया जाता है तो यह हालत जो पहले हुई थी वही होगा। बापूनगर और मौखमपुरा पानी से तलैया बन जाएगा। पहले की तरह सांप और अन्य जानवर घरों में घुस गए थे। उन्होंने जिला प्रशासन से इस नहर की सफाई कराने की मांग की है। उन्होंने जिला कलक्टर से भी इस ओर ध्यान देने की मांग की है। गूगड़ ने कहा कि नहर के आस पास रहने वाले लोग बीमारियों से परेशान हो रहे है। नहर के ऊपर कई लोगों ने पक्के निर्माण कर दिये है। नहर के पास रहने वाले लोग परेशान होकर मकान बेचने को भी तैयार है। 
सहायक नहरे गायब :
मेजा बांध की मुख्य नहर से निकलने वाली कई सहायक नहरे गायब हो गई है। उन पर लोगों ने पक्के निर्माण कर लिये है। कई जगह सड़क बना दी गई है। आजादनगर, जवाहरनगर, बीलिया, देवा का खेड़ा, बापूनगर क्षेत्र में इस नहर से छोटी-छोटी नहरे निकली हुई थी जो अब दिखाई नहीं दे रही है। जबकि सिंचाई विभाग की नहरों पर अवैध निर्माण नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद सिंचाई विभाग की जमीन पर लोगों ने कब्जे कर लिये है। नहर के दोनों ओर दस से पन्द्रह फीट जगह हुआ करती थी लेकिन जमीन तो क्या अब नहरें ही नजर नहीं आती। सिंचाई विभाग इस मामले में पूरी तरह से उदासीनता बरते हुए है। 

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