गुरलाँ में सेवरा सजा कर लाती है नन्ही बालिका करतीं हैं गणगौर पुजा

 

 गुरलाँ गुरला बद्री लाल माली धुल्लडी के बाद गणगौर तक प्रतिदिन नन्ही मुन्नी बालिका सजधजकर  सेवरा गणगौर के थानक तक ले जाती है बीच में चौराहे पर नाचती गाती है बच्चीयों द्वारा कलश में आम के पते, फुल आदि से सेवरा सज्जा कर गणगौर व सेवरा के गीत गाती गोरे पुजे गणपति ,ईश्वर पुजे पार्वती ,पार्वती का आला लिला,गौरे को सोने का टीला,टीला दे टपका रानी गीत गाती हुई सेवरा ले जातीं है यह सिलसिला गणगौर तक चलता है बालिका व महिलाओं द्वारा व्रत भी किया जाता है

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