महाप्रभु स्वामी रामचरणजी महाराज 225 वां निर्वाण महोत्सव शाहपुरा में मनेगा, पोस्टर का विमोचन

 

शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी 
रामस्नेही संप्रदाय के संस्थापक महाप्रभु स्वामी रामचरणजी महाराज 225 वां निर्वाण महोत्सव इस बार रामनिवास धाम शाहपुरा में ही भव्यता के साथ मनाया जायेगा। संप्रदाय के पीठाधीश्वर जगदगुरू आचार्यश्री रामदयालजी महाराज ने निर्वाण महोत्सव के पोस्टर का शाहपुरा में विमोचन किया है। आचार्यश्री के सानिध्य में यह महोत्सव शाहपुरा में 7 से 11 अप्रेल तक मनाया जायेगा। फूलडोल महोत्सव के समापन के बाद होने वाले इस आयोजन की तैयारियां अभी से प्रांरभ कर दी है। इस कार्यक्रम के दौरान ही राजस्थान सरकार की ओर से इसी वर्ष बजट में घोषित स्वामी रामचरण पेनोरमा का शिलान्यास कार्यक्रम भी होना संभावित है। जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं राजस्थान धरोहर प्रोन्नति संरक्षण प्राधिकरण के चेयरमेन राज्यमंत्री सुरेंद्र सिंह जाड़ावत शामिल हो सकते है। 
समस्त सर्व रामस्नेही सत्संगीजनों के तत्वावधान में होने वाले इस आयोजन को लेकर आयोजन समिति की प्रांरभिक बैठक में इस कार्यक्रम को भव्यता देने का निर्णय लिया गया है तथा इसके पोस्टर का विमोचन संप्रदाय के आचार्यश्री के कर कमलों से करा दिया गया है। 
संप्रदाय के पीठाधीश्वर जगदगुरू आचार्यश्री रामदयालजी महाराज ने कहा है कि महाप्रभु का 225 वां निर्वाण महोत्सव रामनिवास धाम शाहपुरा में आयोजित होना बहुत ही गौरव की बात है। समस्त सर्व रामस्नेही सत्संगीजनों के अनुरोध को स्वीकार कर यह आयोजन शाहपुरा में करने की स्वीकृति हुई है।
पीठाधीश्वर जगदगुरू आचार्यश्री रामदयालजी महाराज ने कहा है कि विश्व में आध्यात्मिक वेदांत के प्रकाश को बिखरने में महाप्रभु रामचरणजी महाराज अग्रदूत थे। उन्होंने देश विश्व को सत्यपथ दिखाया। उनका जीवन चरित्र आज सबके लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गया है। महाप्रभु रामचरण महाराज आध्यात्मिक, वेदांत, सौम्यता पूरे विश्व में फैलाकर सबके लिए एक मिसाल बन गए। उन्होंने कहा कि राम नाम जप व तप से ही रामस्नेही संप्रदाय आज अपने चरम पर है। 
रामस्नेही संप्रदाय के संस्थापक स्वामी रामचरण महाराज ने संवत 1817 में भीलवाड़ा के मियाचंद जी की बावड़ी की गुफा में भजन एवं राम नाम का सुमिरन किया। इस दौरान कई शिष्य बने। जिन्हें रामस्नेही पुकारा जाने लगा। यहीं से रामस्नेही संप्रदाय की शुरुआत हुई। 253 साल पहले फूलडोल महोत्सव मनाने की परंपरा भीलवाड़ा से शुरू हुई। संवत 1822 में यहां रामद्वारा का निर्माण कार्य शुरू हुआ।
दिव्य तीर्थ बना है रामनिवास धाम-
शाहपुरा में महाप्रभु रामचरण की तपोस्थली रामनिवास धाम रामधाम दिव्य तीर्थ के समान है। विरक्तों की शरणस्थली रामधाम कोई साधारण धाम नहीं बल्कि दिव्य तीर्थ स्वरूप धाम है। इस धाम की विशेषता है कि यहां भारतवर्ष के विरक्त संत विश्राम के लिए ठहर कर श्रद्धालुओं को सानिध्य देते हैं। ज्ञान वैराग्य को जागृत तपोबल से किया जा सकता है।

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