है कौन अजनबी वो जो सांसो मे बसा है, हर पल मेरे हर बोल में जिसका नशा है

 

भीलवाड़ा, मूलचन्द पेसवानी
श्री वरदान सेवा ट्रस्ट भीलवाड़ा के तत्वावधान में बुधवार रात्रि को देश के सुप्रसिद्ध कवि दिवंगत श्री नरेन्द्र दाधीच के जन्म दिवस पर आयोजित कवि सम्मेलन देर रात्रि तक चला। दाधीच भवन भीलवाड़ा में आयोजित कार्यक्रम कवियों ने एक से बढ़कर एक रचना से श्रोताओं को हास्य एवं गीतों में सराबोर कर दिया। प्रारम्भ में कवि दाधीच के चित्र के समक्ष अतिथियों द्वारा दीप ज्जवलन किया गया।
कवि सम्मेलन की शुरूआत जया दाधीच ने सरस्वती वंदना से की। बालकवि रुद्रांश ने दिवंगत कवि दाधीच चिरपरिचित रचना मुझे आज तिरंगा गाने दो सुनाई तो पूरा परिसर तालियों से गूंज उठा। उदयपुर से आए युवा शायर सम्पत कबीर ने देखकर गाल गीले हो रहे हैं, सिसकियों के हाथ पीले हो रहे हैं, हां मोहब्बत एक तरफ से जा चुकी है और अब लहजे नुकीले हो रहे हैं।
राही कबीर भीलवाड़ा ने जीवन तो बस बहती नदियाँ और किनारे में और तु गीत से वातावरण को गीतों आनन्दित कर दिया।
शाहपुरा से आए हास्य कवि दिनेश बंटी ने एक से बढ़कर एक हास्य रचनाओं एवं अपनी हास्य भरी चुटकियों,  चुटकलांे  वं हास्य कविताओं से खूब ठहाके लगवाए। कार्यक्रम का संचालन कर रहे हास्य कवि दीपक पारीक ने अपनी संचालकीय कौशल एवं कविताओं एवं बातों से बीच-बीच में खूब गुदगुदाकर श्रोताओं को लौट-पौट कर दिया।कवि संजीव सजल ने जब हम बूढ़े होंगे, खटिया पर खड़े होंगे, उस वक्त जवानी को हम याद करेंगे जैसी कई पैरोड़ी सुनाई।
चित्तौड़गढ़ से आए देश के सुप्रसिद्ध गीतकार रमेश शर्मा ने कच्ची पक्की डगर पे संग संग कुछ दिन चलने देते,डांट डपट और लडना झगड़ना लाड में ढल गया माँ,सब अभी से बदल गया माँ सुनाकर श्रोताओं को भावुक कर दिया।गीतकार डॉ. कैलाश मण्डेला ने हेरी थनै कुण कहवे री काली, म्हारै घर की थू दिवाळी एवं है एवं सुफियाना गीत कौन अजनबी जो सांसों में बसा है, हरपल में हर इक बोल में जिसका ही नशा है से कविसम्मेलन को शिखर तक पहुंचाया।भीलवाड़ा के ओम तिवाड़ी ने व्यंग्य तेवर से श्रोताओं के दिलों में छाप छोड़ी। गीतकार गौरव सोनी,शिवरतन दाधीच,जयप्रकाश भाटिया ने भी काव्य पाठ किया ।अंत में श्री वरदान सेवा ट्रस्ट भीलवाड़ा के महेश शर्मा एवं विष्णु सांगावत ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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