बिजौलियां की करोड़ों रुपए की वन क्षेत्र की भूमि के नामान्तरण के विरूद्ध सरकार करेगी अपील : प्रभारी मंत्री जोशी

 


भीलवाड़ा (हलचल)। बिजौलियां खनन क्षेत्र में अरबों रुपए की बेशकीमती जमीन को राजस्व मण्डल अजमेर द्वारा गोदनामे के जरिए निचली दो अदलतों के फैसले को दरकिनार कर कुछ लोगों के नाम कर देने के मामले के खिलाफ सरकार अपील करेगी। 
यह बात आज प्रभारी महेश जोशी ने जिला कलक्टर सभागार में पत्रकार वार्ता के दौरान कही। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार का कोई भी मामला सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि इसमें चाहे कोई भी लिप्त है कार्रवाई होगी। 
उल्लेखनीय है कि भीलवाड़ा जिले के बिजौलिया क्षेत्र में खनन एरिया के बीच वन विभाग की बेशकीमती 227.10 बीघा जमीन राजस्व मंडल अजमेर ने निजी लोगों के नाम कर दी। यह आदेश 20 जनवरी को जारी किया गया है। खास बात यह है कि प्रदेश का संभवतया ऐसा पहला मामला है, जिसमें इतनी बड़ी जमीन को वन भूमि से निजी लोगों के नाम किया है। जबकि वन विभाग के अधिकारियों को लगी तो मांडलगढ़ के क्षेत्रीय वन अधिकारी दशरथ सिंह ने 9 फरवरी को बिजौलिया एसडीएम और तहसीलदार को आपत्ति दर्ज कराते हुए लिखा कि यह जमीन खातेदारों के नाम दर्ज नहीं करें, क्योंकि यह वन विभाग के नाम पर है।
राजस्व विभाग ने सीलिंग कानून को भी दरकिनार कर वन क्षेत्र की जमीन को खातेदारों के नाम दर्ज करने का आदेश दिया वह नया नगर सैंड स्टोन खनन एरिया में है। इस एरिया में यहां पर सबसे अच्छी क्वालिटी का सैंड स्टोन पत्थर है। 227.10 बीघा जमीन में बहुत कम गहराई से सैंड स्टोन निकलना शुरू हो जाता है । 
पीपुल्स फॉर एनीमल्स के बाबूलाल जाजू ने भी इस मामले को उठाते हुए कहा था कि इस जमीन पर हजारों की संख्या में पेड़ हैं। वन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार करीब 50 हजार पेड़ हैं। वन विभाग की और से लिखित में की गई आपत्ति में उन्होंने लिखा कि इस जमीन पर सघन वन है और इसमें पैंथर, भालू, सियार, नीलगाय, अजगर सहित कई वन्यजीव हैं।
उधर, मांडलगढ़ के क्षेत्रीय वन अधिकारी का पत्र मिलने के बाद बिजौलिया तहसीलदार ने यह जमीन खातेदारों के नाम दर्ज करने की कार्रवाई रोक दी है। राजस्व मंडल के आदेश पर बिजौलिया एसडीएम सीमा तिवारी ने प्रकरण की एंट्री कर ली है लेकिन आगे की कार्रवाई रोकते हुए इस मामले में कलेक्टर आशीष मोदी को तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजी है। एसडीएम की रिपोर्ट में भी वन विभाग की जमीन खातेदारों के नाम दर्ज करने को गलत माना है।
मंत्री द्वारा इस मामले की जांच कराने की बात कहने के बाद कई लोगों में खलबली मची है लेकिन अब यह चर्चा होने लगी है कि यह जमीन चरागाह भूमि रहेगी या भ्रष्टाचार की भेंट चढ निजी लोगों के हाथों में आ जाएगी।

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