रंगों से सराबोर हुआ बाबा का दरबार, भस्मारती में भगवान महाकाल को लगाया गया हर्बल गुलाल

 

दुनिया भर में मनाए जाने वाले होली के त्यौहार की शुरूआत धार्मिक नगरी उज्जैन से हो गई है। यहां सबसे पहले होली के त्यौहार की शुरूआत विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर से हुई। बाबा महाकाल के दरबार में होली का उत्सव आज (मंगलवार) धूमधाम से मनाया गया। सुबह चार बजे भस्मारती में पण्डे पुजारियों ने बाबा महाकाल के साथ होली खेली। यहां सभी ने बाबा की भक्ति में लीन होकर अबीर, हर्बल गुलाल और फूलों के साथ होली मनाई। इस दौरान बाबा महाकाल का दरबार रंगों से सराबोर नजर आया। 


रंगो के त्यौहार होली की शुरूआत सबसे पहले बाबा महाकाल के दरबार से हो गई है। यहां परंपरा अनुसार भस्मारती में बाबा महाकाल को रंग लगाया गया। पण्डे पुजारियों ने आरती के दौरान बाबा की भक्ति में लीन होकर अबीर, हर्बल गुलाल और फूलों के साथ होली खेली। बाबा महाकाल के दरबार में मनाई जाने वाली होली देश भर में प्रसिद्ध है इसीलिए आज देश के कोने-कोने से कई भक्त उज्जैन में मनाई जाने वाली इस होली को देखने के लिए मंदिर पहुंचे थे।
 

भस्मारती में बाबा महाकाल को लगा हर्बल गुलाल

महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित आशीष गुरू ने बताया कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में ही भस्म आरती की परंपरा है। रोजाना सुबह चार बजे बाबा महाकाल को भस्म आरती के बाद ही मंदिर में परंपरा अनुसार हर पर्व मनाया जाता है। आज सुबह भी मंदिर में भस्म आरती के दौरान तड़के चार बजे मंदिर के कपाट खोले गए। भगवान महाकाल को जल से स्नान, करवाने के बाद दूध, दही, घी, शहद, फलों के रस से बने पंचामृत से अभिषेक पूजन करवाया गया। बाबा महाकाल के विशेष पूजन अर्चन व आरती के बाद बाबा महाकाल को हर्बल गुलाल लगाकर होली पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान पंडित और पुजारियों ने जहां बाबा महाकाल को हर्बल गुलाल अर्पित किया। वहीं, एक दूसरे को रंग लगाकर भी यह उत्सव मनाया। बाबा महाकाल को हर्बल गुलाल लगाने के बाद पंडित और पुजारीगणों ने भक्तों के साथ भी जमकर होली खेली उन्होंने भक्तों पर गुलाल और फूल बरसाए, जिससे बाबा महाकाल का दरबार रंगों से सराबोर नजर आया। 
 

बाबा महाकाल की दिनचर्या में होगा बदलाव

अब बदलेगी महाकाल की दिनचर्या
चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से भगवान महाकालेश्वर की दिनचर्या बदलेगी। महाकाल मंदिर में प्रतिदिन होने वाली आरतियों के समय में बुधवार से परिवर्तन हो जाएगा। महाकाल को ठंडे पानी से स्नान करवाने का सिलसिला शुरू होगा। मंदिर के पुजारियों के अनुसार प्रतिवर्ष दो बार बाबा महाकाल की आरतियों के समय में बदलाव किया जाता है। यह परिवर्तन परंपरा अनुसार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा होलिका दहन के दिन किया जाएगा। आरतियों के समय में आधा घंटे का बदलाव होता है और दिनचर्या बदल जाती है। संध्याकालीन पूजा शाम पांच बजे से ही होगी। अश्विन मास की पूर्णिमा तक आरतियों का यह क्रम चलेगा। बाबा महाकाल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी से गर्म जल से स्नान करना शुरू करते हैं। होली तक यही चलता है। इसके बाद होली से चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से अश्विन पूर्णिमा तक रोज भगवान महाकाल को ठंडे जल से स्नान कराया जाता है। होली के दिन से प्रथम भस्म आरती - प्रात: 4 से 6 बजे तक, द्वितीय दद्योदक आरती प्रात: 7 से 7:45 बजे तक, तृतीय भोग आरती प्रात: 10 से 10: 45 बजे तक, चतुर्थ संध्याकालीन पूजन शाम 5 से 5:45 बजे तक, पंचम संध्या आरती शाम 7 से 7:45 बजे तक और शयन आरती रात्रि 10:30 से 11:00 बजे तक होगी।
 

भस्मारती में शामिल भक्तों पर भी बरसाया गया रंग गुलाल

नारायणाधाम में 151 क्विंटल फूलों से खेली जाएगी होली 
श्री कृष्ण सुदामा की पावन मित्र स्थली मित्रता का प्रतीक श्री कृष्ण सुदामा धाम नारायणा धाम में आज 7 मार्च मंगलवार को भव्य फाग महोत्सव एवं ध्वज उत्सव का आयोजन किया जाएगा। महंत दिग्विजयजी महाराज निवार्णी अखाड़ा द्वारा पेशवाई में निशान एवं अखाड़ा निकाला जाएगा। होली एवं ध्वज उत्सव चल समारोह मंदिर से बैण्ड-बाजे एवं ढोल नगाड़ों के साथ प्रारंभ होगा। चल समारोह में मालवी फाग गीतों पर थिरकते झूमते-गाते बाबूलाल देवड़ा की कलाकार मंडली के साथ ही क्षेत्रों से भजन मण्डलिया भी सम्मिलित होगी। चल समारोह में हाथी, घोड़े, ऊंट इत्यादि सम्मिलित होंगे। सम्पूर्ण गांव में फूलों से भव्य स्वागत होगा। सम्पूर्ण उत्सव कार्यक्रम को इन्दौर के हरीश जोशी द्वारा ड्रोन कैमरे से शूट किया जायेगा। दोपहर 12 बजे अभीजीत मुहुर्त में मंदिर के शिखर पर भव्य ध्वजारोहण होगा। इसके बाद महाआरती, महाप्रसादी एवं भण्डारा होगा। इस आयोजन में प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी श्री कृष्ण सुदामा की मित्रता के प्रतीक स्थल नारायणा धाम में 151 क्विंटल फूलों से होली खेली जाएगी।

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